एक गांव में, एक महिला नंदनी अपने साल भर के बच्चे के साथ घर से बाहर निकल रही थी, तभी उसकी सास ने आवाज लगाई – “नंदनी, काम से लौटते वक्त पंडिताइन की दुकान से आधा किलो नमक ले लेना।”
नंदनी ने सिर हिला कर कहा और अपने काम पर निकल पड़ी।
दो बच्चों की मां नंदनी ठेकेदार के यहां रोजाना काम करती है। एक दिन भी छुट्टी लेने पर सैलरी कट जाती है। जब वह इस बारे में बात करती है, तो ठेकेदार का बेटा कहता है, “मैंने तुम्हें सरकारी नौकरी नहीं दी है। काम करना है तो करो, वरना कहीं और जाओ।”
नंदनी जवाब देती है, “इतने दिनों से काम करती आ रही हूं। जब तुम्हारे पिता थे, पूरा पैसा मिलता था, लेकिन तुम…”
नंदनी की बात पूरी नहीं हो पाती कि वहां मौजूद औरतों में से एक ने उसे इशारा किया।
सुलेखा ने कहा, “क्यों नंदनी, उस गवार से क्यों झगड़ती हो? उसके पास हमारे जैसे समझदारी नहीं है।”
अंधेरा होने से पहले नंदनी घर लौटी और सास ने पूछा, “नंदनी, नमक लाई कि नहीं?”
नंदनी झूठ बोली, “पंडिताइन की दुकान बंद थी, किसी ने बताया कि वह अपने नैहर चली गई है।”
सास ने कहा, “आज नमक बिना ही साग बनाना पड़ेगा। देखो, रामूआ की बीवी के पास एक तोला नमक मांगने गई थी, लेकिन लौटी नहीं है।”
नंदनी ने अपना हाथ धोते हुए कहा, “आ रही हूं, चिल्ला क्यों रही हो?”
सास ने कहा, “चिल्लाऊं क्यों नहीं? इतनी देर से बकबक कर रही हूं, और एक शब्द नहीं बोल रही हो।”
नंदनी ने पैर पटकते हुए कहा, “जाओ रामूआ की बीवी के पास एक तोला नमक लेकर आओ। अंधेरा हो रहा है और जंगली जानवरों का खतरा है।”
नंदनी ने अपने पति रघुवीर को खोजने के लिए निकल पड़ी। सभी जगह उसे खोज लिया, लेकिन कहीं नहीं मिला। उसने सोचा, “जिंदा रहेगा तो आएगा, नहीं तो…”
घर के दरवाजे को खोलकर नंदनी अंदर गई। उसकी सास और दोनों बेटे सो रहे थे। सामने खटिया पर सूखी रोटी पड़ी थी।
नंदनी सोने ही लगी थी कि बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। तेंदुआ बच्चे को उठाकर ले जा रहा था। नंदनी ने घर में रखे भाले से तेंदुए पर हमला किया, लेकिन तेंदुआ नंदनी पर हमला कर दिया। नंदनी घायल होकर जमीन पर गिर पड़ी।
आस-पड़ोस के लोग अपने हथियार लेकर दौड़े और तेंदुआ भाग गया, लेकिन नंदनी गंभीर रूप से घायल हो चुकी थी। उसकी सांसें धीरे-धीरे थम रही थीं, और उसने अपने बच्चे को छोड़कर सदा के लिए आंखें बंद कर लीं।
रघुवीर, नशे में धुत, अपनी पत्नी नंदनी को एक बार देखा और फिर खटिये पर लुढ़क गया।