एक समय की बात है, एक गांव में एक परिवार रहता था। इस परिवार में दो सास, कमला और शीला, और दो बहूएं, राधा और मीना, थीं।
कमला, जो बड़ी सास थी, काफी अधिकारवादी और स्वाभिमानी थी। वह हमेशा अपनी इच्छाओं को पूरा करने और बहूओं पर अपना अधिकार जमाने की कोशिश करती थी। वह खुद को परिवार की मुखिया मानती थी और इसका उपयोग अपनी दबावपूर्ण सोच के लिए करती थी।
दूसरी सास शीला, आदर्शवादी, समझदार और धैर्यशील थी। वह जानती थी कि परिवार में सभी का सम्मान करना और मिलजुल कर काम करना जरूरी है। शीला अपनी बहूओं की मान्यताओं और सुझावों का सम्मान करती थी।
राधा, जो पहली बहू थी, शांतिपूर्वक अपनी सास कमला के साथ काम करने की कोशिश करती थी, लेकिन कमला उसे आदेशों के अनुसार काम करने के लिए मजबूर करती थी। इससे राधा परेशान हो जाती थी और घर का माहौल भारी महसूस करती थी।
दूसरी बहू मीना, समझदारी और समाधान के लिए हमेशा तत्पर रहती थी। वह दिल से सास शीला के साथ मिलकर उनकी सहायता करने का प्रयास करती थी और विवादों को सुलझाने में सहयोग करती थी।
धीरे-धीरे, कमला ने समझा कि उसका अधिकारवादी व्यवहार न केवल बहूओं को दुखी कर रहा था, बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों को भी। उसने अपनी सोच में परिवर्तन किया और स्थिति को सुधारने का प्रयास किया।
इस बीच, शीला और मीना ने प्रेम और सम्मान के आधार पर समझौते करना सीखा। वे एक-दूसरे की मान्यताओं को समझते और सम्मान करते थे, जिससे परिवार में शांति और खुशहाली का माहौल बना।