एक बार एक हिरण जंगल में पानी की तलाश में घूम रहा था। बहुत देर से भटकने के बाद भी उसे पानी कहीं नहीं मिला। प्यास से बेहाल होकर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया। तभी अचानक उसे पास में पानी की नदी की आवाज़ सुनाई दी। वह तुरंत उठकर आवाज़ की दिशा में बढ़ने लगा और थोड़ी ही देर में उसके सामने एक बड़ी सी नदी थी। नदी को देखकर वह बहुत खुश हो गया, मानो उसे नई ज़िंदगी मिल गई हो। वह दौड़ते हुए नदी के पास गया और जैसे ही पानी पीने के लिए अपना सिर नदी में झुकाया, उसकी नजर दाईं तरफ पड़ी। वहाँ एक शिकारी था जो तीर का निशाना तानकर खड़ा था।
हिरण ने बाईं तरफ देखा तो उसे झाड़ियों के पीछे एक शेर दिखाई दिया। पानी की प्यास अब उसे भूल गई थी। वह घबरा गया और जैसे ही पीछे मुड़कर देखा, उसे भयंकर आग दिखी जो उसकी तरफ बढ़ रही थी। हिरण चारों ओर से मुसीबतों से घिर चुका था—आगे शिकारी, बाईं तरफ शेर, पीछे आग, और सामने गहरी नदी।
हिरण ने सोचा, “मुझे मरना तो है ही, क्यों न पानी पीकर मरूं?” उसने शांति से पानी पीना शुरू कर दिया। जैसे ही उसने पानी पिया, आसमान में काले बादल छा गए और बारिश शुरू हो गई। बारिश की वजह से आग बुझ गई और पानी के कारण शिकारी का निशाना चूक गया और तीर शेर को लग गया। शेर ने शिकारी पर हमला कर दिया।
जब हिरण ने पानी पीकर सिर उठाया तो देखा कि शिकारी और शेर दोनों ही वहां नहीं थे और आग भी बुझ चुकी थी।
**कहानी से सीख:**
दोस्तों, इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में जब समस्याएं आती हैं, तो वे चारों तरफ से आती हैं और हमें घबरा देती हैं। लेकिन, घबराने की बजाय हमें शांति से सोचकर अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। जिस तरह हिरण ने शांति से सोचकर अपना काम किया, उसी तरह हमें भी जीवन में चुनौतियों का सामना करना चाहिए।
उम्मीद करता हूँ कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी। याद रखें, दुनिया क्या कहेगी, यह सोचने की बजाय अपने काम में लगे रहिए, एक दिन यही दुनिया आपको देखेगी!