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The value of culture and relationships: more important than wealth and hobbies
लाइफस्टाइल

संस्कार और रिश्तों की कीमत: दौलत और शौक से अधिक महत्वपूर्ण

एक युवा बेटा अब अच्छी नौकरी पा चुका था और इस कारण उसे अपने माता-पिता के साथ सम्मान से पेश आने में मुश्किल हो रही थी। वो अक्सर अपनी माँ से छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करता, वही माँ जो उसके लिए अपने पति से भी लड़ जाती थी। बेटा अब खुद को स्वतंत्र समझता था और अपने पिता की बातों को नजरअंदाज करता था। वह कहता, “यही तो उम्र है शौक पूरे करने की। जब आपकी तरह बुढ़ापा आ जाएगा, तब क्या करूंगा?”
बहु खुशबू भी एक अच्छे परिवार से आई थी, लेकिन उसकी सादगी बेटे के आधुनिक जीवनशैली से मेल नहीं खाती थी। बेटे का दोस्त मंडल भी उसे उसी तरह की जीवनशैली में ढालने की कोशिश करता था। बेटे ने कई बार खुशबू से कहा कि वह पुराने स्टाइल के कपड़े छोड़कर मॉडर्न बने, लेकिन खुशबू हर बार मना कर देती। वह कहती, “लाइफ की क्वालिटी क्या हो, मैं इस बात पर विश्वास रखती हूं।”
फिर एक दिन अचानक बेटे के पिता को हार्ट अटैक आया और उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया। डॉक्टर ने तीन लाख रुपये का बिल जमा करने के लिए कहा। बेटा परेशान होकर दोस्तों से मदद मांगने के लिए फोन करने लगा, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। उसकी आंखों में आंसू थे।
तभी खुशबू टिफिन लेकर आई और बोली, रोइए मत जी ! बाबूजी को कुछ नहीं होगा, आप चिंता मत करो।”
पति की आंखों से आंसू छलक पड़े। खुशबू ने उसे दिलासा दिया और कहा, “मैंने तुम्हारे दिए पैसे संभाल कर रखे हैं। उन पैसों से हम बाबूजी का इलाज करवा सकते हैं।”
बेटा समझ गया कि वह अपने शौक में खो गया था, लेकिन खुशबू ने अपने संस्कार नहीं छोड़े थे। उसने खुशबू के सर पर हाथ रखा और ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया, जिसने उसे इतने अच्छे संस्कार दिए थे।
Moral: जीवन में सच्ची क़ीमत रिश्तों और संस्कारों की होती है, न कि दौलत और शौक की।

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