गोपीनाथ सुनार की असमय मृत्यु के बाद, उनके परिवार को कठिन समय का सामना करना पड़ा। उनकी पत्नी ने अपने बेटे को परिवार के एक अन्य सुनार रिश्तेदार के पास भेजा, जिनके पास गहने बेचकर पैसे मिल सकते थे। वह सोच रही थी कि चूंकि ये रिश्तेदार भी सुनार हैं, वे उनके गहनों का सही दाम देंगे।
बेटा अपने रिश्तेदार गोपीनाथ सुनार के पास गहनों की पोटली लेकर पहुंचा। गोपीनाथ सुनार ने गहनों का ध्यानपूर्वक निरीक्षण किया और फिर उन्हें पोटली में वापस रख दिया। उन्होंने लड़के से कहा कि अभी इनका दाम अच्छा नहीं मिलेगा और तब तक उन्हें घर पर ही रखो। उन्होंने यह भी कहा कि लड़का उनके पास काम करने आ सकता है, जिससे उसकी पढ़ाई और घर का खर्च चल सकेगा।
लड़के ने कई सालों तक गोपीनाथ सुनार के पास काम किया और पढ़ाई भी की। इस दौरान उसने सोने और चांदी की पहचान करना सीख लिया। जब गोपीनाथ सुनार ने कहा कि अब सही समय आ गया है और गहनों को बेचने का उचित दाम मिलेगा, तो लड़के ने गहनों की पोटली वापस मांगी। जब लड़के ने गहनों को जांचा, तो उसे पता चला कि सारे गहने नकली थे।
लड़का निराश होकर गोपीनाथ सुनार के पास पहुंचा और पूछा कि उन्होंने गहनों की सच्चाई क्यों नहीं बताई। गोपीनाथ सुनार ने जवाब दिया कि अगर वे तब गहनों की असलियत बताते, तो लड़के को लगता कि वे उसकी मुश्किल का फायदा उठाकर गहनों को नकली बताकर मदद नहीं करना चाहते या गहनों को हड़प लेना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने सही समय का इंतजार किया, ताकि सच्चाई बताई जा सके और लड़का इस पर विश्वास कर सके।
लड़के की आंखों में आंसू थे और उसने गोपीनाथ सुनार के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की और उनके पैर छूए। यह कहानी रिश्तेदारी की एक सुंदर मिसाल पेश करती है, जिसमें रिश्तेदार ने सच्ची मदद और समर्थन का उदाहरण पेश किया।
हम अक्सर कहते हैं कि रिश्तेदार स्वार्थी होते हैं या हमारी मदद नहीं करते। हालांकि, यह सच है कि सभी रिश्तेदार गोपीनाथ सुनार की तरह नहीं होते, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि सभी रिश्तेदार मतलबी होते हैं। हमें खुद भी अच्छे रिश्तेदार बनना होगा और दयालुता और ईमानदारी का प्रदर्शन करना होगा, तभी हम दूसरों से भी अच्छाई और समर्थन प्राप्त कर सकते हैं।
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