आज की कहानी हमें यह सिखाती है कि हम अपनी असफलताओं और जीवन में प्रगति न हो पाने का दोष दूसरों पर लगाकर खुद को धोखा देते हैं। इस रोचक कहानी को पढ़कर आप समझ पाएंगे कि असल में अवसर हमेशा हमारे सामने होता है, बस उसे पहचानने और सही तरीके से उपयोग करने की आवश्यकता होती है।
राजस्थान के एक गांव में एक आदमी रहता था, जिसका काम अक्सर रेगिस्तान से होकर गुजरना पड़ता था। एक दिन, जब वह रेगिस्तान में यात्रा कर रहा था, तो गर्मी और थकावट से परेशान होकर उसने आसमान की ओर देखकर भगवान से शिकायत की, “भगवान, आपने यह रेगिस्तान क्यों बनाया? अगर बनाया ही, तो यहाँ पानी की व्यवस्था क्यों नहीं की, ताकि इस जगह को हराभरा किया जा सके।”
इतना कहने के बाद, वह आदमी फिर से अपनी यात्रा पर निकल पड़ा। कुछ दूरी पर उसे एक कुआँ दिखा, जिसमें पानी भरा हुआ था। आदमी ने सोचा कि शायद उसने भगवान से पानी की मांग करके गलती कर दी थी। अब वह भगवान से डरते हुए सोचने लगा कि अगर रेगिस्तान हराभरा हो गया तो क्या होगा?
फिर, जब उसने देखा कि कुएँ के पास रस्सी और बाल्टी भी रखी हुई थी, तो वह और भी चिंतित हो गया। “अब मैं अकेला कैसे इतना सारा पानी ढो सकता हूँ?” उसने सोचा।
उसके बाद, उसे एक रेगिस्तानी ऊंट भी दिखाई दिया, और उसने सोचा कि वह शायद भगवान का एक और संदेश है कि वह उसे सहारा देने के लिए भेजा गया है। लेकिन फिर भी, वह आदमी किसी कारणवश मौके का लाभ उठाने से कतराने लगा।
अचानक एक कागज उड़ते-उड़ते उसके चेहरे पर चिपक गया। आदमी ने उसे पढ़ा, जिसमें लिखा था: “मैंने तुम्हें वह सब कुछ दिया है जो तुमको रेगिस्तान को हराभरा करने के लिए चाहिए।”
यह संदेश पढ़ने के बाद भी, आदमी चुपचाप आगे बढ़ गया, बिना किसी कार्यवाही के।
संदेश: इस कहानी के माध्यम से हमें यह समझना चाहिए कि जब हमें अवसर मिलता है, तो हमें उसे पहचानने और उसका उपयोग करने की जिम्मेदारी स्वयं लेनी चाहिए। हमारी असफलताओं और समस्याओं के लिए हम अक्सर दूसरों को दोषी ठहराते हैं, लेकिन वास्तव में, अवसर हमेशा हमारे सामने होता है। अगर हम उसे अनदेखा करते हैं या अपने डर और बहानों के कारण उसे स्वीकार नहीं करते, तो असफलता हमारी ही चॉइस होती है।
इसलिए, हमें अपने अवसरों को पहचानना और उनका सही तरीके से उपयोग करना सीखना चाहिए, ताकि हम अपने जीवन में प्रगति कर सकें और सफल हो सकें।