Jansansar
The enterprise is Bhairav ​​Hai: meditation and study inspired by the teachings of Shiva
धर्म

उद्यम ही भैरव है: शिव के उपदेश से प्रेरित ध्यान और अध्ययन

शिव कहते हैं: “उद्यम ही भैरव है। और जिस दिन भी तुमने आध्यात्मिक जीवन की चेष्टा शुरू की, तुम भैरव होने लगे; तुम परमात्मा के साथ एक होने लगे। तुम्हारी चेष्टा की पहली किरण और तुमने सूरज की तरफ यात्रा शुरू कर दी। पहला खयाल तुम्हारे भीतर मुक्त होने का, और ज्यादा दूर नहीं है मंजिल; क्योंकि पहला कदम करीब-करीब आधी यात्रा है।”

“उद्यम भैरव है। तुम्हारे भीतर जैसे ही यह भाव सघन होना शुरू हुआ कि अब मैं मूर्च्छा को तोड़ूं और चैतन्य बनूं, वैसे ही तुम भैरव होने लगे; वैसे ही, तुम ब्रह्म के साथ एक होने लगे। क्योंकि वास्तव में तुम एक हो ही, सिर्फ तुम्हें यह स्मरण आ जाए। मूलत: तुम एक हो ही। तुम उसी सागर के झरने हो, तुम उसी सूरज की किरण हो, तुम उसी महा आकाश के एक छोटे से खंड हो। पर तुम्हें यह स्मरण आना शुरू हो जाए और दीवालें विसर्जित होने लगें, तो तुम इस महा आकाश के साथ एक हो जाओगे।”

“उद्यम भैरव है। बड़ी सघन चेष्टा करना जरूरी है। तुम्हारी समग्रता लग जाये श्रम में, उसका नाम उद्यम है। और, तब देर न लगेगी तुम्हारे भैरव हो जाने में।”

“अगर तुमने ठीक उद्यम किया, अगर तुमने अपनी संपूर्ण ऊर्जा को संलग्र कर दिया चेष्टा में—सत्य की खोज, परमात्मा की खोज या आत्मा की खोज में, तो तुम्हारे भीतर जो शक्ति का चक्र है, वह पूर्ण हो जाता है।”

Related posts

स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही सच्चे साधु के पंचतत्व हैं: मोरारी बापू

Ravi Jekar

बेंगलुरु भगदड़ पीड़ितों को मोरारी बापू की श्रद्धांजलि और परिवारों को आर्थिक सहायता

Jansansar News Desk

कल्याणेश्वर महादेव मंदिर – जहाँ अग्नि मौन में बोलती है, शांति में चमत्कार होता है, और शक्ति भीतर से जागती है

Jansansar News Desk

2035 से पहले रोगमुक्त भारत मिशन के तहत बाराबंकी में नई पहल– जहां कोई नहीं पहुंचा,वहां पहुंचेगा सेवा

आध्यात्म और भक्ति का महापर्व: तेरापंथ धर्मसंस्कृति के दीपस्तंभ वाव में आचार्य महाश्रमण जी की यात्रा

Jansansar News Desk

हांगकांग में राम नवमी के अवसर पर ‘विश्व सनातन धर्म दिवस’ की स्थापना

Jansansar News Desk

Leave a Comment