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आध्यात्म और भक्ति का महापर्व
धर्म

आध्यात्म और भक्ति का महापर्व: तेरापंथ धर्मसंस्कृति के दीपस्तंभ वाव में आचार्य महाश्रमण जी की यात्रा

वाव-थराद (गुजरात)  तेरापंथ धर्मसंस्कृति के दीपस्तंभ बने वाव क्षेत्र में तेजस्वी मार्गदर्शक, युगप्रधान, पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी का आगमन होने जा रहा है। 14 अप्रैल को महाश्रमण जी वाव में पधारेंगे। वाव में आचार्य श्री की यह तीसरी यात्रा होगी।

आचार्य श्री महाश्रमण जी एक ऐसा दिव्य व्यक्तित्व हैं, जिन्हें केवल शब्दों में बाँधना संभव नहीं। वे विचारों की क्रांति, कर्म की परिभाषा और कल्याण की सरिता हैं। उनके आध्यात्मिक यज्ञ ने अंधविश्वास, सामाजिक बुराइयों और रूढ़ियों पर सशक्त प्रहार किया है। आचार्य श्री केवल विचारक नहीं, बल्कि नशामुक्ति और आध्यात्मिक जागृति के जीवनमंत्र से 1 करोड़ से अधिक लोगों में परिवर्तन लाने वाले प्रेरणास्रोत हैं।

उन्होंने 60,000 किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा, 23 राज्यों और हिमालय क्षेत्र में धर्मप्रचार किया है। उनके द्वारा एक साथ 43 संयम रत्नों का दीक्षा संस्कार कराया गया, जो संत परंपरा का एक अद्भुत अध्याय बना। आज तक वाव क्षेत्र से 31 संयम रत्न दीक्षित हो चुके हैं, जो वाव के लिए सात्विक गौरव की बात है।

आराध्य के आगमन से वाव की भूमि पर महोत्सव जैसा वातावरण छा गया है। यह कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि धर्म और भक्ति का महापर्व है, जहां श्रद्धा, अनुशासन और अध्यात्म का संगम होगा।

जैन तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी 12 वर्षों के बाद पुनः वाव की पावन धरती को चरण-स्पर्श देने आ रहे हैं। उनके आगमन से वाव नगर का हर बालक, युवा, वयोवृद्ध, जैन और जैनेतर जनों में भी उल्लास की लहर दौड़ रही है।

उल्लेखनीय है कि आचार्य श्री का प्रवास अत्यंत दुर्लभ और बहुमूल्य होता है। केवल सौभाग्यशाली जनों को उनका सान्निध्य प्राप्त होता है। इस अवसर पर वाव में नए कीर्तिमान स्थापित होने जा रहे हैं।महाश्रमण मुख्य प्रवेशद्वार, नूतन तेरापंथ भवन निर्माण, भवन का नवीनीकरण, एवं भव्य प्रवचन पांडाल जैसे आयोजन आचार्य श्री के स्वागत हेतु तैयार किए गए हैं।

14 अप्रैल 2025 को आचार्य श्री के वरद हस्तों से महाश्रमण प्रवेशद्वार एवं नूतन तेरापंथ भवन का लोकार्पण होगा। 14 से 22 अप्रैल तक चलने वाले 9 दिवसीय पावन अवसर पर आचार्य श्री की अमृतवाणी, चरण-स्पर्श और साधु-साध्वीवृंद के सान्निध्य से वाव के प्रत्येक श्रद्धालु को धन्यता की अनुभूति होगी।

मुमुक्षु रत्न कल्पभाई की शोभायात्रा, वाव तेरापंथ की बेटियां और जैन कार्यशाला वाव नगर को और भी शोभायमान बनाएंगे।

इस छोटे से गाँव में लगभग 5,000 व्यक्तियों के लिए भव्य पांडाल का निर्माण किया जा रहा है और 10,000 से अधिक लोग आचार्य श्री के पावन सान्निध्य का लाभ लेने आ रहे हैं। वाव के नगरवासी भी इस आयोजन में तन-मन-धन से सहयोग दे रहे हैं। यह 9 दिवसीय पावन प्रवास, वाव के श्रावक समाज के लिए एक आध्यात्मिक उत्सव बन गया है।

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