अहमदाबाद : सावन कृपाल रूहानी मिशन की ओर से संत राजिन्दर सिंह जी महाराज की अध्यक्षता में दो दिन के सत्संग व नामदान का कार्यक्रम 10-11 अक्टूबर, 2023 को रिवर फ्रंट इवेंट सेंटर, अहमदाबाद में आयोजित किया गया। यह जगह अपने आप में एक एतिहासिक और राष्ट्रीय महत्त्व रखती है, जहां हजारों की संख्या में लोग संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के सत्संग को सुनने के लिए एकत्रित हुए। संत राजिन्दर सिंह जी महाराज की यह अहमदाबाद की पांचवी यात्रा है। इससे पूर्व वे 2001, 2006, 2011 और 2018 में अहमदाबाद में सत्संग प्रवचन के लिए पधारे थे।
कार्यक्रम की शुरुआत पूजनीय माता रीटा जी द्वारा संत कबीर साहब की रब्बी वाणी से गाए गए ”कबीरा तु ही, कबीर तु, तेरा नाउ कबीर“ (कबीर, तु आप ही कबीर है और आपका नाम महान है) शब्द से हुई। उसके पश्चात संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने अपनी दिव्यवाणी में समझाया कि हमें झूठे गर्व और अहंकार से ऊपर उठना होगा ताकि हम अपने जीवन के मुख्य उद्देश्य अपने आपको जानना और पिता-परमेश्वर को पाना को पूरा कर सकें।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने अपने सत्संग में कहा कि इंसान होने के नाते हम अपना जीवन अहंकार, गर्व और मोह में फंसकर गुजारते हैं। इस बाहरी दुनिया की धन-संपत्ति और नाशवान चीज़ों के मिलने पर हम गर्व महसूस करते हैं लेकिन हम यह नहीं जानते कि असली खजाना हमारे भीतर है। हम झूठ-फरेब की ज़िंदगी जीते हुए अपने ऊपर कर्मो का बोझ बढ़ाते रहते हैं और दिन-ब-दिन पिता-परमेश्वर से दूर होते चले जाते हैं।
आगे उन्होंने फ़रमाया कि मनुष्य जन्म हमें केवल पिता-परमेश्वर को पाने के लिए मिला है। इस शरीर में हमें जो सांसों की पूंजी मिली है वो सीमित है, जिसके खत्म होने पर एक दिन हमें या तो जला दिया जाएगा या कब्र में दफ़ना दिया जाएगा। यह इस ज़िंदगी की सच्चाई है। अगर हमने मानव जीवन के सच्चे ध्येय को पाना है तो हमें इस बाहरी दुनिया की इच्छाओं से खत्म कर अपना ध्यान पिता-परमेश्वर की ओर करना होगा। असली रूहानी खेजानें हमारे भीतर हैं, जो व्यक्ति अपना जीवन प्रेम, सच्चाई और नम्रता से जीता है वह इन रूहानी खजानों को अपने भीतर पा सकता है। जब हम ध्यान-अभ्यास करते हैं तो हम गर्व और अहंकार को छोड़कर खुशी और आनंद से भरपूर जीवन जीने लगते हैं। जिसके फलस्वरूप हम अपने कदम पिता-परमेश्वर की ओर तेजी से बड़ाने लगते हैं।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के सत्संग कार्यक्रम में सिर्फ अहमदाबाद से ही नहीं बल्कि भारत के विभिन्न राज्यों के हजारों लोगों के अलावा विदेशों से आए लगभग 100 भाई-बहनों ने भी भाग लिया।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज गैर-लाभकारी संगठन सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख हैं, जिसे पूरे विश्व में आध्यात्मिक विज्ञान के रूप में भी जाना जाता है। संत राजिन्दर सिंह जी महाराज का जीवन और कार्य लोगों को मनुष्य जीवन के मुख्य उद्देश्य को खोजने में मदद करने के लिए प्रेम और निःस्वार्थ सेवा की एक लगातार चलने वाली यात्रा के रूप में देखा जा सकता है। पिछले 34 वर्षों से उन्होंने जीवन के सभी क्षेत्र के लाखों लोगों को ध्यान-अभ्यास की विधि सिखाकर उन्हें उनके वास्तविक स्वरूप यानि आत्मिक रूप से जुड़ने में मदद की है। उनका संदेश आशा, प्रेम, मानव एकता और निःस्वार्स्थ सेवा का संदेश है।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ध्यान-अभ्यास की एक सरल विधि सिखाने के लिए पूरी दुनिया में यात्रा करते हैं, जिसका अभ्यास स्त्री हो या पुरुष, बीमार हो या स्वस्थ, चाहे वह किसी भी उम्र, धर्म व जाति का हो, कर सकता है। इस विधि को ‘सुरत शब्द योग’ या ‘प्रभु की ज्योति और श्रुति का मार्ग’ भी कहा जाता है।
उन्हें ध्यान-अभ्यास पर आधारित सेमिनारों और पुस्तकों के माध्यम से लाखों लोगां को ध्यान-अभ्यास सिखाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। उनकी प्रमुख पुस्तकें ‘डिटॉक्स द माइंड, ‘मेडिटेशन एज़ मेडिकेशन फॉर द सोल’ और ‘ध्यान-अभ्यास के द्वारा आंतरिक और बाहरी शांति’ प्रमुख हैं। उनकी कई डीवीडी, ऑडियो बुक और आर्टिकल्स, टीवी, रेडियो और इंटरनेट पर उपलब्ध हैं।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को विभिन्न देशों द्वारा अनेक शांति पुरस्कारों व सम्मानों के साथ-साथ पाँच डॉक्टरेट की उपाधियों से भी सम्मानित किया जा चुका है।
सावन कृपाल रूहानी मिशन के संपूर्ण विश्व में 3200 से अधिक केन्द्र स्थापित हैं तथा मिशन का साहित्य विश्व की 55 से अधिक भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है। इसका मुख्यालय विजय नगर, दिल्ली में है तथा अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय नेपरविले, अमेरिका में स्थित है।