वेधाप्रिया, जो कि चेन्नई से हैं, 14 साल की उम्र में ही साँपों को बचाने के काम में जुट गई थीं। उनका पहला अनुभव उन्हें एक कोबरा (Cobra)को बचाने में मिला था, जब वे अपने स्कूल के पास घूम रही थीं। उन्होंने देखा कि लोग उसे मारने की कोशिश कर रहे हैं। बिना किसी डर के और सोचे-समझे, वेधाप्रिया ने उस साँप को बचाने का फैसला किया और उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया। इस घटना ने उन्हें साँपों के प्रति अपनी पहली प्यार और संवेदनशीलता की प्रेरणा दी, जिसने उन्हें बाद में सार्वजनिक क्षेत्र में एक प्रमुख साँप बचावकर्ता बनने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।