एक बार की बात है, दोपहर का समय था और उस तपती धूप में एक गरीब लड़का गुब्बारे बेच रहा था। उसके पैर में चप्पल भी नहीं थी। वह कुछ देर धूप में चलता और जब उसके पैर धूप से जलने लगते, तो वह थोड़ी देर छांव में खड़ा हो जाता। ऐसा करते-करते वह सड़क के किनारे-किनारे अपने गुब्बारे बेचते हुए जा रहा था।
थोड़ी दूर चलने के बाद, वह थक गया और उसे सड़क के किनारे एक गार्डन दिखाई दिया। वह लड़का उस गार्डन में जाकर एक बेंच पर आराम करने के लिए बैठ गया। तभी उसकी नजर उसके सामने वाले बेंच पर पड़ी। उसने देखा कि वहाँ उसकी उम्र का एक और लड़का बैठा हुआ है, जिसने महंगे जूते और कपड़े पहने हुए थे। वह लड़का बहुत अमीर लग रहा था।
गरीब लड़के ने उस अमीर लड़के को देखकर ऊपर वाले से कहा, “आपने उसे इतनी अच्छी जिंदगी दी है और मुझे इतनी खराब। उसे अच्छे जूते दिए हैं और मुझे चप्पल भी नहीं। उसे अच्छे कपड़े दिए हैं और मुझे फटे हुए।”
यह कहकर वह लड़का उस बेंच पर बैठकर ऊपर वाले से दुआ करने लगा, “आप मुझे भी उस लड़के की तरह बना दो, उसकी जैसी जिंदगी मुझे भी दे दो।” लड़का दिल से प्रार्थना करने लगा और अचानक उसकी दुआ सुन ली गई। जब उसने अपनी आँखें खोलीं, तो उसने देखा कि वह अब उस अमीर लड़के के शरीर में आ गया है।
यह देखकर वह बहुत खुश हुआ कि उसने नए कपड़े पहने हैं और नए जूते हैं। लेकिन जब उसने बेंच से उतरने की कोशिश की, तो उसने महसूस किया कि उसके पैर हिल नहीं रहे हैं। तभी एक ड्राइवर व्हीलचेयर लेकर आया। अब वह लड़का समझ गया कि जिस अमीर लड़के के शरीर में वह है, उसे पैरालिसिस है।
यह देखकर वह हैरान हो गया। उसने सामने वाले बेंच पर अपने शरीर को देखा, जिसमें अब वह अमीर लड़का था और वह लड़का अचानक उछल-कूद कर रहा था। उसने ऊपर वाले से कहा, “मेरी जिंदगी तो इस अमीर लड़के की जिंदगी से लाख गुना अच्छी थी। मुझे फिर से अपने शरीर में वापस भेज दो।”
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी जिंदगी में जो कुछ भी है, उसके लिए शुक्रगुजार होना चाहिए। हम अक्सर अपने से बेहतर स्थिति में लोगों को देखकर अपनी किस्मत को कोसते हैं, जबकि शायद हमारी स्थिति किसी और के लिए एक सपना हो। इसलिए हमें हमेशा अपने पास की अच्छाइयों को देखना चाहिए और खुश रहना चाहिए।