Jansansar
"घर की धुरी से समाज की ताकत तक: महिलाओं की अनकही कहानियाँ"
धर्म

“महिलाओं का अनदेखा संघर्ष: एक घर के असली नायिका की कहानी”

मेरा कोई छुट्टी का दिन नहीं होता और मैं कोई वेतन भी नहीं लेती। इसके बावजूद, मुझसे हमेशा पूछा जाता है, ‘सारा दिन किया किया?’”

“हर दिन की मेहनत, हर पल की क़ीमत: महिलाओं का सच्चा सम्मान”

महिलाओं का सच्चा सम्मान: मैंने अपने एक महिला मित्र से पूछा कि क्या आप वर्किंग वुमेन हैं या हाउसवाइफ? उसकी प्रतिक्रिया दिल को छू लेने वाली थी। उसने कहा, “मैं पूरी तरह से वर्किंग वुमेन हूँ। सुबह मैं अलार्म की घड़ी होती हूँ, जो सबको जगाती है। मैं घर की कुक, सर्वेंट, और विंटर (ठंड के मौसम में चादर) भी हूँ। मैं बच्चों की टीचर हूँ, जो उन्हें पढ़ाती और समझाती है। मैं बुजुर्गों की नर्स हूँ, जो उनकी देखभाल करती है। मैं घर की सिक्योरिटी हूँ, जो परिवार की सुरक्षा करती है। मैं मेहमानों की रिसेप्शनिस्ट हूँ, जो उनका स्वागत करती है। मैं फंक्शन में अपने पति की हीरोइन हूँ, जो हर मौके पर उसका साथ देती है।

यह सुनकर मैं सोचने लगी कि हमारी समाज में महिलाओं के काम और उनके त्याग को सही तरह से नहीं समझा जाता। वे हर दिन अपने परिवार के लिए इतनी मेहनत करती हैं, फिर भी उनका योगदान अक्सर अनदेखा रहता है। यह सही है कि महिलाएं घर की धुरी होती हैं और उनका काम निरंतर चलता रहता है। वे सुबह उठती हैं, सबके लिए खाना बनाती हैं, बच्चों को स्कूल भेजती हैं, बुजुर्गों की देखभाल करती हैं, घर के कामकाज संभालती हैं, और मेहमानों का स्वागत करती हैं।

महिलाओं की यह भूमिका सिर्फ घरेलू कार्य तक ही सीमित नहीं होती, बल्कि वे हर मोर्चे पर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करती हैं। एक मां, पत्नी, बहन, या बेटी के रूप में, वे न केवल घर की देखरेख करती हैं, बल्कि परिवार की भावनात्मक और मानसिक सेहत का भी ध्यान रखती हैं। उनकी मेहनत और बलिदान परिवार के लिए अमूल्य होते हैं, लेकिन अक्सर यह माना जाता है कि उनका काम आसान और महत्वहीन होता है।

हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति और उनकी मेहनत को समझने की आवश्यकता है। हमें उनकी कड़ी मेहनत की सराहना करनी चाहिए और उनके कामों को महत्व देना चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि उनकी भूमिका सिर्फ घर तक सीमित नहीं है, बल्कि वे समाज के हर हिस्से में सक्रिय होती हैं। चाहे वे नौकरी करती हों या घर संभालती हों, उनका योगदान किसी भी स्थिति में कम नहीं होता।

महिलाओं को सम्मान देने के लिए हमें उन्हें उनकी मेहनत का पूरा श्रेय देना चाहिए। हमें उनके काम की सराहना करनी चाहिए और उन्हें प्यार देना चाहिए। हमें चाहिए कि हम उनके त्याग को समझें और उनकी मेहनत को स्वीकार करें।

इस वूमेन्स डे पर, हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने परिवार की महिलाओं को अधिक सम्मान और प्यार देंगे। उनकी मेहनत और बलिदान को स्वीकार कर, हम उन्हें प्रोत्साहित करेंगे और उनके योगदान की सराहना करेंगे। यह एक छोटी सी कोशिश होगी, लेकिन इससे हम समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। महिलाओं का महत्व समाज के हर क्षेत्र में है, और हमें इसे मान्यता देनी चाहिए।

हमें यह समझना होगा कि महिलाएं हर दिन कितनी मेहनत करती हैं और उनका काम कितनी महत्वपूर्ण है। हमें उनकी भूमिका को सराहना चाहिए और उन्हें कभी भी न भूलना चाहिए। हम सब मिलकर महिलाओं के योगदान को सम्मानित करें और उनके काम की प्रशंसा करें, ताकि वे जान सकें कि उनकी मेहनत की कद्र की जाती है।

महिलाएं समाज का अभिन्न हिस्सा हैं और उनकी मेहनत और त्याग को समझना और सराहना हम सब की जिम्मेदारी है। वूमेन्स डे पर, हम सभी को चाहिए कि हम अपनी मां, बहन, बेटी, और पत्नी को सम्मान दें और उन्हें प्यार करें, क्योंकि उनके बिना हमारा जीवन अधूरा है।

Related posts

स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही सच्चे साधु के पंचतत्व हैं: मोरारी बापू

Ravi Jekar

बेंगलुरु भगदड़ पीड़ितों को मोरारी बापू की श्रद्धांजलि और परिवारों को आर्थिक सहायता

Jansansar News Desk

कल्याणेश्वर महादेव मंदिर – जहाँ अग्नि मौन में बोलती है, शांति में चमत्कार होता है, और शक्ति भीतर से जागती है

Jansansar News Desk

2035 से पहले रोगमुक्त भारत मिशन के तहत बाराबंकी में नई पहल– जहां कोई नहीं पहुंचा,वहां पहुंचेगा सेवा

आध्यात्म और भक्ति का महापर्व: तेरापंथ धर्मसंस्कृति के दीपस्तंभ वाव में आचार्य महाश्रमण जी की यात्रा

Jansansar News Desk

हांगकांग में राम नवमी के अवसर पर ‘विश्व सनातन धर्म दिवस’ की स्थापना

Jansansar News Desk

Leave a Comment