रितिका ऑफिस में एक मेहनती और स्वाभिमानी लड़की थी, जिसे परिवार की ज़िम्मेदारी निभानी थी। रोज़ सुबह वह ऑफिस की सीढ़ियाँ चढ़ती थी, लेकिन उसके दिल में डर और अपमान का बोझ होता था। मनीष, उसके बॉस, ने उसे कई बार गलत तरीके से छूने की कोशिश की थी। रितिका मजबूरी में चुप रहती थी, लेकिन एक दिन मनीष ने फिर से अपने पुराने तरीके से उसका हाथ छूते हुए कहा, “रितिका, कभी खुद को मेरे साथ रूमानी बनाने की कोशिश करो।” रितिका का खून खौल उठा, लेकिन परिवार की चिंता ने उसे चुप रहने पर मजबूर किया।
उस दिन, काव्या ने रितिका की उदासी देखी और कहा, “हम कुछ नहीं कर सकते। हमें इस नौकरी की जरूरत है।” रितिका की आंखों में आंसू आ गए। उसकी सहेलियाँ रिया और स्नेहा भी उसी दर्द से गुजर रही थीं। शाम को, रितिका ने हॉस्टल के बगीचे में बैठते हुए कहा, “इन ओस की बूंदों की तरह हम भी अकेले कमजोर हैं, लेकिन अगर हम मिलकर लड़ें, तो कुछ कर सकते हैं।”
अगले दिन, मनीष ने स्नेहा को छूने की कोशिश की। स्नेहा ने तुरंत रितिका के पास जाकर खड़ी हो गई। रितिका ने अपने मोबाइल से मनीष की हरकतों का वीडियो रिकॉर्ड कर लिया। उस रात, मनीष के परिवार ने वीडियो देखा और हंगामा मच गया। अगले दिन, पुलिस रितिका, रिया और स्नेहा के साथ मनीष को गिरफ्तार करने पहुंची।
उनकी इस बहादुरी ने उन्हें आत्म-सम्मान और ताकत दी। अब वे बेखौफ अपनी जिंदगी जी सकती थीं, और जानती थीं कि उन्होंने अपने आत्मसम्मान की रक्षा की है।