Jansansar
Rahul - Aarti, there is a lot of hustle and bustle in the house since morning.
लाइफस्टाइल

राहुल – आरती, आज सुबह से ही घर में बहुत चहल-पहल है।

आरती – आज रक्षाबंधन का त्योहार जो है।
चार साल हुए आरती की शादी को। हर बार रक्षाबंधन पर ऐसी ही रौनक रहती है, लेकिन आरती का मन हर बार की तरह इस बार भी उदास ही है।
आरती ने सब के लिए खीर-पूड़ी बनाई है। खीर-पूड़ी की महक सारे घर में पसरी हुई है। आज राहुल की दोनों बहनें आ रही हैं राखी बांधने इसलिए आज राहुल भी काफी खुश है। पापाजी भी बहुत खुश हैं बुआ के आने से। वे तो दो दिन पहले ही आ गई थीं। आरती को आज अपने भैया की बहुत याद आ रही है। आरती के पिता बचपन में ही खत्म हो गए थे। बड़े भैया और भाभी ही सब कुछ थे उसके लिए। आरती के भाई नहीं चाहते थे कि आरती, राहुल से शादी करे, लेकिन उसने सोचा था कि वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा, भैया भी मान जाएंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। शादी के बाद भैया ने तो उससे मुंह ही मोड़ लिया था।
आरती को अपने पीहर की गलियां उसे बहुत याद आती थीं। बहूत मुश्किल उसने अपने आंसुओं को रोक रखा था। भैया का बेटा और बेटी दोनों कनाडा में पढ़ रहे थे…. अकेलापन तो भैया को भी सताता होगा… क्या भैया अब मुझसे कभी नहीं बोलेंगे… यही सोच रही थी आरती।
कुछ ही देर में आरती की दोनों ननदें वहां पहुंच गई थीं। दोनों जीजाजी और उनके बच्चे भी थे। उनके आते ही घर में रौनक छा गई थी। आरती की आंखों के सामने अतीत के चलचित्र घूम रहे थे। उसे याद आ रहा था कि कैसे रक्षाबंधन की तैयारी वह सुबह से किया करती थी। किस तरह वह अपने भैया से राखी के दिन अपना पसंदीदा उपहार लेती थी। भैया उसके लिए एक नहीं कई-कई उपहार लाते थे और वह अपनी किस्मत पर फूली नहीं समाती थी। भाभी की भी लाड़ली थी वह। अपनी बेटी की तरह चाहा था भाभी ने उसे। उसे याद आ रहा था कि एक बार जब बचपन में वह सीढ़ियों से गिरकर चोटिल हो गई थी और पांव में चोट के कारण चल नहीं पा रही थी तो भैया उसे अपनी गोद में उठाकर हर जगह ले जाते थे। भैया ने हर ख्वाहिश पूरी करने की आजादी दी। वे चाहते थे कि आरती की शादी उनके खास दोस्त के छोटे भाई से हो, लेकिन आरती तो राहुल को ही अपना जीवनसाथी मान चुकी थी। शादी से पहले आरती सोचा करती थी कि पिता की तरह स्नेह और संरक्षण देने वाले भाई की छत्रछाया में उसका मायका हमेशा गुलजार रहेगा। एक स्त्री ससुराल और मायके के बीच की धुरी बनकर खुद को पूर्ण समझती है, लेकिन भैया की मर्जी के खिलाफ शादी ने आरती का मायका छीन लिया था।
भारी मन से आरती रसोई की ओर बढ़ गई थी। वह सबका खाना लगाने ही वाली थी कि मम्मीजी ने यह कहकर रोक दिया कि पहले मुहूर्त के अनुसार राखी बांधने, बंधवाने का कार्यक्रम होगा….. फिर सब साथ बैठकर खाना खाएंगे।
वह राहुल के साथ बैठ गई थी सोफे पर। पास में ही मम्मीजी-पापाजी बैठे थे। बुआजी ने सबके राखी बांधी और फिर उसकी दोनों ननदें सपना और पूजा ने भी। इस सारी चहल-पहल के बीच आरती गुमसुम सी बैठी थी, तभी अपनी नजरों के सामने एक जानी-पहचानी कलाई को देखकर वह चौंक गई। नजर बिना उठाए ही सोचने लगी, “ऐसा तिल तो मेरे भैया की कलाई पर है…..।” उसे लगा कि उसे भ्रम हो रहा है। यही सोचकर वह सबका खाना लगाने के लिए रसोई की ओर बढ़ने लगी। तभी चिर-परिचित आवाज कानों में गूंजी – ‘राखी नहीं बांधेगी गुड़िया।’
सामने सचमुच भैया अपनी कलाई आगे करके खड़े थे और पास ही भाभी खड़ी मुस्कुरा रही थीं। आरती अपने भैया के गले लग गई थी। भाई-बहन का ये मिलन देख सबकी आंखें भर आई थीं। फिर भैया बोले- ‘अपनी बहन के होते हुए भाई की कलाई क्यों सूनी रहे? मैं तुझसे जरा भी नाराज नहीं हूं। मैं समझता था कि स्नेह का अर्थ सिर्फ अपनों पर अपने निर्णय थोपने से पूर्ण होता है। मैं गलत था आरती। तुम बहुत भाग्यशाली हो कि तुम्हें राहुल जैसा पति मिला है। तुम्हारी मम्मीजी ने हर राखी पर मुझे आने का न्यौता दिया। इस बार उन्होंने मुझे मना ही लिया।’
आरती, मम्मीजी को भावविह्वल होकर देख रही थी, तभी मम्मीजी बोलीं- ‘आज बहुत खुशी का दिन है। आज भाई-बहन फिर से मिले हैं। अपने भैया को अपने हाथ से बनी मिठाई नहीं खिलाओगी आरती?’
आरती मुस्कुराते हुए बोली-‘मिठाई तो सबको खिलाऊंगी, मेरे भैया जो आए हैं।’
बरसों बाद भाई को राखी बांधकर आरती खुश थी। परिवार खुशी से झूम रहा था। आरती बहुत खुश थी आरती को सबसे अच्छा गिफ्ट मिला था …. भैया का प्यार। आरती ने भगवान से प्रार्थना की, की वह हर साल अपने भैया को ऐसे ही राखी बांधती रहे।

Related posts

डॉ. बिनॉय के. बोरदोलोई: असम से वैश्विक नवाचार तक की प्रेरणादायक यात्रा

AD

निंद, ख्वाब, शौक और सुकून – मां बनने के बाद सब कुछ बदल गया

AD

“विश्व हिन्दी दिवस” पर भारत विभूषण गीतकार डॉ.अवनीश को राष्ट्रीय पुरस्कार

AD

Love with Astrology: रिश्तों की पाठशाला – लाखो लोगों की ज़िंदगी बदली है

Ravi Jekar

प्रख्यात कवयित्री प्रिया ने गिन्नी देवी मोदी इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया

AD

सूरत: सुवालि बीच पर हुआ आकर्षक बीच फेस्टिवल, किंजल दवे ने गीत-संगीत से जमाया समां

AD

Leave a Comment