Jansansar
It has been only 10 days since my marriage. And I consider myself very lucky because I have been blessed with a very loving husband. My mother-in-law and father-in-law are even better than my husband.
लाइफस्टाइल

शादी को अभी मेरे 10 दिन ही हुये है. और में अपने आप को बहुत खुश किस्मत मानती हूं क्यों कीं मुझे बहुत प्यार करने वाला पति नसीब हुआ है. सांस और ससुर तो पति से भी अच्छे है.

अभी अभी शादी हुई तो ज्यादातर घर पर ही रहते है. दुकान अभी पापा और मम्मी संभाल रहें है. शादी को अब एक महीना हो गया था. इनका अभी भी दुकान पर जाना वैसा शुरू नहीं हुआ

कुछ देर के लिये जाते और फिर वापस आ जाते. सुबह पापा जी ही जल्दी उठकर दुकान खोलते और देर रात तक वही दुकान पर बैठते थे. मम्मी जी उनके लिये खाना लें जाया करती थी. यह दिनभर मेरे पीछे ही घूमते.

मैंने इन्हे बोला कीं अच्छा नहीं लगता अब आप रेगुलर दुकान पर जाना शुरू करिये वरना पापा मम्मी कहेगे कीं मैंने आपको कण्ट्रोल कर रखा है. उन्होंने बोला ऐसा कुछ नहीं होगा. वो सब बाते तुम मत सोचो.

एक दिन हमारे कमरे कीं नल कीं टंकी ख़राब हो गयी तो हमारे बाथरूम में पानी नहीं आ रहा था. तो मुझे नहाने के लिये हाल के बाथरूम में जाना पड़ा. मेरे पति तब सो रहें थे में बाथरूम में नहाने गई.

कुछ ही सेकंड के बाद वो भी उठ कर दरवाजे के बाहर आ गये और बाहर से ही मुझे आवाज देते है रानी तुम अंदर हो मैंने बोला हां. अपने रूम में पानी नहीं आ रहा था इसलिये में बाहर आकर नहा रही हूं. फिर जब तक में नहा कर वापस नहीं आयी तब तक वो दरवाजे के बाहर ही खड़े रहें. ऐसा वो रोज करने लगे.

एक दिन वो बाथरूम में नहा रहें थे तब कोरियर वाला आया. कोई था नहीं तो में रिसीव करने के लिये दरवाजे पर गई. में अभी उस से बात कर ही रही थी कीं यह बाथरूम से टावेल में ही भागकर आये

आते ही मुझे जोर से कहते है कीं तुम अंदर जाओ. फिर उसके जानें के बाद किचन में आकर मुझसे कहते है कीं इस तरह अंजान आदमी से बात करना सेफ नहीं है तुम ध्यान रखा करो. फिर इसके बाद मैंने कई बाते देखी जैसे जब हम बाहर जाते थे तब वो मुझे इधर उधर नहीं देखने देते थे.

कहीं खाना खा रहें होते थे तो मेरी नजरें कहां है में किसे देख रही हूं देखते थे. बार बार अपनी जगह बदलते रहते थे. मेरे पति का यह स्वभाव मेरे सांस ससुर भी देख रहें थे. एक दिन पापा नें उन्हें दुकान के काम से बाहर जानें को कहां तो उन्होंने मना कर दिया.

फिर पापा को ही जाना पड़ा. वो बस मेरे पीछे ही रहते फोन पर में किस से बात कर रही हूं मेरे फोन में नंबर और मैसेज भी चेक किया करते. यह सब देखने के बाद मैंने सोच लिया कीं अब उनसे बात करनी होंगी. इसलिये फिर एक रात मैंने उनसे कहां कीं आपको में कैसी लगती हूं.

वो बोले बहुत अच्छी. मैंने कहां आप मुझ पर विश्वास करते है. वो बोले क्यों क्या हुआ. मैंने कहां कीं आप जो यह सब कर रहें है यह ठीक नहीं लग रहा. है में चाहती थी कीं मुझे बहुत प्यार करने वाला पति मिलें आप बिलकुल वैसे ही हो जैसा मैंने सोचा था

लेकिन आप बहुत ज्यादा पैसेसीव हो. क्या आप मुझ पर शक करते है. क्या आपको लगता है में आपका भरोसा तोडूंगी.वो बोले नहीं ऐसा नहीं है. फिर मैंने कहां कीं आप से अच्छा पति मुझे नहीं मिल सकता लेकिन आपको अपने पर थोड़ा नियंत्रण और मुझ पर विश्वास रखना होगा वरना यह आगे चल कर हमारे लिये ही झगडे और लड़ाई का कारण बनेगा.

मुझे पता है शायद आपको मुश्किल लगेगा लेकिन आप थोड़ा थोड़ा बदलिये में आपके साथ हूं. वो बोले हां में कोशिश करूँगा. अगली सुबह मैंने उनको उठाया और कहां कीं दुकान आप जायेंगे और खाने के पहलें नहीं आयेंगे.

में घर में ही हूं चाहे तो आप फोन कर लेना. वो जैसे तैसे मन मार कर गये. कभी रूठ कर तो कभी प्यार से धीरे धीरे उनकी आदत में सुधारने के कोशिश कर रही हूं. मैंने एक पत्नी ही अगर पति को नहीं समझेगी तो कौन समझेगा. बहुत हद तक मैंने उनका स्वभाव बदल दिया है. बात को बढ़ाना नहीं बात को किस तरह से सुलझाया जाये यह सोचना चाहिये.

हम दोनों में एक बात तय हुई कीं हम एक दूसरे के मन में क्या चल रहा है. हमेशा एक दूसरे को बताते रहेंगे. बात नहीं करना अपनी बात मन में ही रखना ही किसी समस्या को जन्म देता है.

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