मोनिका और तुषार की भागकर की शादी ने दोनों परिवारों के बीच एक गहरा विभाजन खड़ा कर दिया। मोनिका के अमीर परिवार ने इस रिश्ते को मान्यता नहीं दी, और तुषार के मध्यमवर्गीय परिवार ने शुरू में कोई विरोध नहीं किया, लेकिन जब तुषार की मौत हुई, तो मोनिका के लिए स्थिति और भी कठिन हो गई। मोनिका के मायके वालों ने उसे पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया, और तुषार के परिवार ने उसे स्वीकार किया, लेकिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
तुषार की मौत के बाद मोनिका के जीवन में एक नया मोड़ आया। उसकी सास ने उसकी स्थिति को समझा और उसे मानसिक सहारा दिया। मोनिका को अपनी आत्ममूल्यता और भविष्य की दिशा को खोजने में मदद की। मोनिका की सास ने उसे कभी भी आत्महत्या करने की सलाह नहीं दी, बल्कि उसे जीने की प्रेरणा दी और अपने दर्द को साझा किया।
मोनिका ने खुद को संभाला और अपनी शिक्षा और करियर पर ध्यान केंद्रित किया। उसने एक IAS अधिकारी बनने का लक्ष्य रखा और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। मोनिका की मेहनत और उसकी सास के समर्थन से उसने समाज और परिवार को दिखाया कि संघर्ष और कठिनाइयों के बावजूद एक व्यक्ति अपनी जिंदगी को नया दिशा दे सकता है।
इस कहानी में मोनिका की सास ने एक अद्वितीय भूमिका निभाई। उन्होंने मोनिका को न सिर्फ एक नई शुरुआत दी, बल्कि उसे यह भी सिखाया कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, आत्महत्या इसका समाधान नहीं है। मोनिका की सास ने उसे अपनी ममता और समझ से सहारा दिया, और मोनिका ने भी अपनी सास की ममता और समर्थन को नकारा नहीं किया।
मोनिका की यह यात्रा दर्शाती है कि कठिन समय में भी एक सच्ची समझ और सहयोग से जीवन को नया अर्थ दिया जा सकता है। यह भी बताती है कि समाज में कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो अपनी सीमाओं से बाहर जाकर दूसरों की मदद करते हैं और उनके जीवन को बदल देते हैं।