Jansansar
"अनार के पेड़ का पुनर्जन्म: ननद की कहानी"
लाइफस्टाइल

“मायके की यादें और अनार का पुनर्निर्माण: एक ननद की अनुभूति”

“परिवार की जड़ों की वापसी: एक अनार के पेड़ की कथा”
“प्रेम, संघर्ष और पुनर्निर्माण: अनार का पेड़ और ननद की यात्रा”
“बरकत की वापसी: अनार के पेड़ की पुनरावृत्ति”

अनार का पेड़ – ननद की जुबानी

बचपन से ही मैं सुनती आ रही थी कि हमारे आंगन में जो अनार का पेड़ है, उसे मेरी माँ ने लगाया था। माँ इस दुनिया से बहुत साल पहले चली गई थीं। पेड़ पर इतने फल लगते थे कि उसकी शाखाएं जमीन तक पहुंच जाती थीं, जिससे कोई भी अनार आसानी से तोड़ सकता था। माँ के जाने के बाद घर के बाग-डोर भाभी के हाथों में आ गई थी।

एक बार मेरे पति ने मुझसे कहा, “मैंने सुना है कि तुम्हारे मायके में जो अनार का पेड़ है, उस पर बहुत ही स्वादिष्ट अनार लगते हैं।” अगले ही दिन मैं मायके गई और चुपके से कुछ अनार तोड़कर अपने बेग में छुपा दिए। जब भाभी ने देखा तो आग बबूला हो गईं। उन्होंने तुरंत मेरे बेग की तलाशी ली, मुझे बुरा-भला कहा और सारे अनार निकाल लिए।

मैं दुखी मन से अपने घर वापस आ गई और सारी बात पति को बता दी। लेकिन फिर वही हुआ जो कहा जाता है, जिस घर से बेटी दुखी मन से निकल जाती है, उस घर से बरकत भी उठ जाती है। अगले साल उस पेड़ पर एक भी अनार नहीं लगा, बल्कि उसकी जड़ों में कीड़े पड़ गए। आखिरकार, पेड़ को जड़ से उखाड़कर फेंकना पड़ा और उस जगह पर भारी मात्रा में केमिकल डालना पड़ा।

जब मुझे यह पता चला तो मैं मायके गई। पेड़ की जगह पर हाथ रखकर माँ को याद करते हुए रोने लगी। अचानक मेरी नजर एक नन्ही सी जड़ पर पड़ी। मैंने उस जड़ को उखाड़कर अपने बाग में लगा दिया और अपने घर वापस आ गई।

अपने घर आकर मैंने वह जड़ जमीन में लगाई और वह जड़ बढ़ने लगी। दो ही सालों में वह जड़ एक बड़े अनार के पेड़ में बदल गई। देखने वाले यह देखकर आश्चर्यचकित हो गए कि तीन सालों में उस पेड़ पर मीठे, स्वादिष्ट और बड़े आकार के अनार लगने लगे। वह बिल्कुल वैसा ही पेड़ बन गया, जैसे मायके में था।

समझने वालों के लिए इसमें ईश्वर की तरफ से एक बहुत बड़ा संदेश है।

Related posts

गीतकार डॉ.अवनीश राही के जन्मदिवस पर उनके साथ एक खास साहित्यिक-यात्रा

Jansansar News Desk

सावन मेले में उमड़ी महिलाओं की भीड़

Ravi Jekar

टेस्ट फॉर लाईफ ने लॉंच किया “New Age Atta” – आधुनिक जमाने का सेहतमंद विकल्प

Jansansar News Desk

सूरत की निर्माता चंदा पटेल बनीं कांस फिल्म फेस्टिवल में फिल्म पोस्टर लॉन्च करने वाली शहर की पहली महिला फिल्ममेकर

हिंदी भाषा और व्याकरण: मानवीय संस्कारों से रोज़गार तक की यात्रा ।

Ravi Jekar

गीतकार डॉ.अवनीश राही के महाकाव्य का ईशा देओल ने किया लोकार्पण

Jansansar News Desk

Leave a Comment