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पिंकसिटी जयपुर में आर्टिस्ट भारती शाह द्वारा “डिफरेंट स्ट्रोक II – २०२३ ” का आयोजन

  • जयपुर के जवाहर कला केंद्र में १५ से १९ सितंबर, २०२३ को इस आर्ट एक्ज़ीबिशन का आयोजन किया गया है

१५ सितंबर, २०२३- जयपुर: जयपुर ने हमेशा से ही कलाप्रेमी लोगो को आगे लाया है। अहमदाबाद के फेमस आर्टिस्ट भारती शाह द्वारा पिंकसिटी जयपुर में अपने सोलो एक्ज़ीबिशन “डिफरेंट स्ट्रोक II – २०२३” का योजन किया गया है। यह पेंटिंग्स एक्ज़ीबिशन है, जिसमे भारती शाह के ४६ जितने पेंटिंग्स डिस्प्ले किये गए है। गौरतलब है की इस आर्ट एक्ज़ीबिशन का आयोजन जयपुर के जेएलएन रोड पर स्थित जवाहर कला केंद्र में १५ सितंबर से १९ सितंबर तक किया गया है। १५ सितंबर को शाम को ५-०० बजे से होने वाले ओपनिंग में गेस्ट ऑफ़ ओर के तौर पर श्री के. एल. जैन (प्रेजिडेंट, राजस्थान चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स & इंडस्ट्री) एवं श्री राजिव अरोरा (चेरमेन, राजस्थान स्मॉल इंडस्ट्रीस कॉर्पोरेशन) उपस्थित रहे। १६-१९ सितंबर तक होने वाले इस पेन्टिंग एक्ज़ीबिशन का समय सुबह ११-०० से शाम के ७-०० तक का रहेगा।

इवेंट के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए आर्टिस्ट भारती शाह ने बताया की, “मैं एक एब्स्ट्रैक्ट आर्टिस्ट हूँ। ख़ास करके क्यूबिज़्म स्टाइल में काम करती हूँ जो १०० साल पुरानी स्टाइल है। पिकासो और ब्राक ने ये स्टाइल की पेंटिंग्स शुरू की थी। मेरा ध्येय यही है की मेरा काम ज़्यादा से ज़्यादा लोग देखे और युवा आर्टिस्ट का उत्साह बढ़े। मैं इतना ही संदेश देना चाहूँगी की लाइफ में डिसिप्लिन से अपना काम करते रहें। इससे उमर का कोई  रिश्ता नहीं है। ज़िंदगी है तब तक जिस काम में रुचि है वह दिल लगाकर करे। धेर इस नो नीद टू रिटायर। खुश रहें।”

भारती शाह जी  ने अभी तक १३  सोलो शोज़, ६ आर्ट फ़ेस्टिवल्स, ३५ ग्रुप शोज़ किए है। उन्हें ३ अवॉर्ड्स भी मिले है और अपने देश एवं दुनिया के और कई देशों में उनके पेंटिंग्स लगे हुए है।

उन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक चित्रकला में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। उनकी पेंटिंग्स दर्शकों के बीच सकारात्मकता, भावनात्मक जुड़ाव लाती हैं और एक पल रुककर बस देखने का आह्वान करती हैं। उनकी उत्कृष्ट, शानदार रचनाएँ और समकालीन कलाकृतियाँ वास्तव में देखने लायक हैं। उनके काम की विशिष्टता और रंगों की शानदार समझ ही उन्हें अलग बनाती है।

“क्यूबिज़्म” के बारे में उन्हों ने कहा की, “जब मैंने कैनवास पर आकृतियाँ और शेड्स डालना शुरू किया, तो जो निकला वह विभिन्न आकृतियों और आकारों में क्यूब्स थे। मुझे नहीं पता था कि सौ वर्षों से भी अधिक समय से मौजूद कला के इस रूप को “क्यूबिज़्म” कहा जाता है।”

 

 

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