सूरत के अडाजण इलाके में हाल ही में साधुओं पर शक का एक मामला सामने आया, जिसने स्थानीय समुदाय में हलचल मचा दी। दो साधुओं को भिक्षा मांगते हुए देख स्थानीय लोगों को उनके वेश पर संदेह हुआ। उन्होंने सोचा कि ये साधु के वेश में किसी अन्य धर्म के लोग हो सकते हैं। इस संदेह के कारण, स्थानीय निवासियों ने साधुओं से उनकी पहचान पूछने का निर्णय लिया।
जब साधुओं में से एक का नाम सलमान नाथ बताया गया, तो लोगों का संदेह और बढ़ गया। स्थानीय लोगों ने उन साधुओं से मंत्र और श्लोक पढ़ने के लिए भी कहा, ताकि उनकी पहचान की पुष्टि की जा सके। इस बीच, एक व्यक्ति ने उनकी पहचान पत्र भी ले लिए, जिससे मामले ने और तूल पकड़ लिया।
लोगों की चिंता को देखते हुए, उन्होंने पुलिस को भी बुलाया। साधुओं को तुरंत थाने ले जाया गया, जहाँ उनकी जांच शुरू हुई। हालांकि, जब पुलिस ने अपनी जांच की, तो पता चला कि ये तीनों साधु वास्तव में हिंदू थे और उनका संबंध जूनागढ़ से था।
पुलिस इंस्पेक्टर आर.बी. गोज़िया ने कहा कि इन साधुओं को संदिग्ध के रूप में थाने लाया गया था। लेकिन सत्यापन के बाद, यह स्पष्ट हुआ कि उनका धर्म हिंदू है और वे स्थानीय निवासी हैं। इस पूरे मामले ने यह दर्शाया कि समाज में अभी भी सांप्रदायिक संदेह और पहचान को लेकर समस्याएँ मौजूद हैं।
यह घटना न केवल साधुओं के लिए बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक सीख है। ऐसे समय में जब समाज में सहिष्णुता और एकता की आवश्यकता है, यह महत्वपूर्ण है कि लोग बिना किसी पूर्वाग्रह के एक-दूसरे को समझें। अंततः, इस मामले में साधुओं को असुविधा का सामना करना पड़ा, लेकिन सत्यता अंततः सामने आई, जिसने सभी के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया।