“बेटी की पहली रसोई: पिता का प्यार और उसकी स्वादिष्टता की सच्चाई”
“पिता की भावनाओं का खुलासा: बेटी के हलवे से सजीव रिश्ते की कहानी”
“पिता की दया और स्नेह: बेटी के नमक वाले हलवे की पहली बार की तारीफ”
पिता और बेटी की दिल छू लेने वाली कहानी👇
पापा, मैंने आपके लिए हलवा बनाया है।” 11 साल की बेटी अपने पिता से बोली, जो अभी ऑफिस से घर आए थे। पिता बोले, “वाह! क्या बात है, लाओ खिलाओ।” फिर बेटी दौड़ते हुए रसोई में गई और एक बड़ा कटोरा भरकर हलवा लेकर आई। पिता ने खाना शुरू किया और बेटी को देखा। पिता की आंखों में आंसू आ गए। बेटी ने पूछा, “क्या हुआ पापा? हलवा अच्छा नहीं लगा?” पिता बोले, “नहीं, मेरी बेटी। बहुत अच्छा बना है।” और देखते ही देखते उन्होंने पूरा कटोरा खाली कर दिया।
इतने में बाथरूम से नहाकर बाहर आई माँ ने बेटी को ₹50 इनाम में दिया। बेटी खुशी से मम्मी के लिए रसोई से हलवा लेकर आई, मगर यह क्या! जैसे ही उसने हलवे का पहला चम्मच मुँह में डाला, तुरंत थूक दिया और बोली, “यह क्या बनाया है? यह कोई हलवा है? इसमें तो चीनी की जगह नमक भरा है! और आप इसे कैसे खा गए? मेरे बनाए खाने में तो कभी नमक-मिर्च कम या ज्यादा होता है तो आप कहते रहते हो।” और बेटी को इनाम देने पर पिता से सवाल करने लगी।
पिता हँसते हुए बोले, “पगली! तेरा मेरा तो जीवन भर का साथ है। रिश्ता है पति-पत्नी का, जिसमें नोकझोंक, रूठना-मानना सब चलता है। मगर यह बेटी है, कल चली जाएगी। लेकिन आज इसे वह अपनापन महसूस हुआ जो मुझे इसके जन्म के समय हुआ था। आज इतने बड़े प्यार से पहली बार मेरे लिए कुछ बनाया है, फिर वह जैसा भी हो, मेरे लिए सबसे बेहतर है और सबसे स्वादिष्ट है।”
यह सुनकर पत्नी रोते हुए पति के सीने से लग गई और सोचने लगी, “यही कारण है कि हर लड़की अपने पति में अपने पापा की छवि ढूंढती है।”
यही सच है कि हर बेटी अपने माता-पिता के बड़े करीब होती है। यही वजह है कि शादी में विदाई के समय सबसे ज्यादा पिता ही रोता है। दोस्तों, जिस प्रकार एक पिता अपने संतान को संस्कार देता है, उसी प्रकार संतान का भी दायित्व बनता है कि वह अपने माता-पिता के संस्कारों का सम्मान करें। आशा करती हूँ कि यह कहानी आपको पसंद आई होगी। इस कहानी पर आपकी क्या राय है, हमें बताएं।