एक महिला के लिए घर में काम की जिम्मेदारी कभी खत्म नहीं होती। घर की देखभाल, बच्चों की शिक्षा, परिवार के सदस्यों का ध्यान, खाना बनाना, सफाई, कपड़े धोना, और अन्य दैनिक कामों में दिन भर का समय निकल जाता है। इन सभी कामों को वह रोज़ बिना किसी छुट्टी के करती है। अगर त्योहारों की बात करें, तो तब भी ये जिम्मेदारियाँ और बढ़ जाती हैं, क्योंकि त्योहारों के समय घर को सजाना, पकवान बनाना, मेहमानों की आवभगत करना और घर की सफाई करना सब पर बढ़ जाता है।
घर के काम में कोई भी दिन विशेष नहीं होता, महिला को हर दिन यही काम करने होते हैं। सुबह से लेकर रात तक की दिनचर्या में वह सभी काम करती है, फिर चाहे वह सोमवार हो या रविवार, या फिर कोई खास त्योहार हो। छुट्टियाँ तो दूर, अक्सर उसे अपनी देखभाल का समय भी नहीं मिलता। परिवार के हर सदस्य की जरूरतों का ख्याल रखना, बच्चों की पढ़ाई और उनका ध्यान रखना, घर की सफाई और खाना बनाना—ये सभी जिम्मेदारियाँ उसे बिना रुके निभानी होती हैं।
त्योहारों के दिन, जब बाकी परिवार के सदस्य आराम करते हैं, तो महिला को घर की खास तैयारियों में और भी अधिक काम करना पड़ता है। घर सजाना, पकवान बनाना, और मेहमानों का स्वागत करना उसकी जिम्मेदारी बन जाती है। इसके बावजूद, उसकी खुद की छुट्टी का कोई सवाल नहीं होता। यह स्थिति महिला के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है, क्योंकि लगातार काम करने से उसे थकान, तनाव, और अवसाद जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि परिवार के सदस्य उसे कुछ समय की मदद और आराम देने का प्रयास करें, ताकि वह भी अपना ख्याल रख सके।