एक लड़की जिसका नाम सिया था, उसकी नई-नई शादी हो गई थी और वह अपने नए परिवार के साथ रहने चली गई, जिसमें उसके पति आदित्य के माता-पिता भी शामिल थे। लेकिन जैसे ही वह अपने नए घर पहुंची, उसे कुछ अच्छा महसूस नहीं हुआ। कारण था कि उसकी सास किरण हमेशा उसे टोकती थी और उसके बारे में बुरा-भला कहती थी जिससे सिया अपने मायके के बारे में सोचने लगी।
सिया के पिता रवि उससे बहुत प्यार करते थे। जब वह छोटी थी तब से लेकर बड़ी होने तक, रवि ने सुनिश्चित किया कि सिया के पास वह सब कुछ हो जिसकी उसे ज़रूरत थी। उन्होंने हमेशा बहुत प्यार से उसकी देखभाल की।
नई दुल्हन सिया, अपनी सास किरण से नाराज़ थी क्योंकि वह उसे दुष्ट लगती थी। इसी कारण सिया भी कभी-कभी पलटकर अपनी सास को जवाब दे देती थी। इन झगड़ों की वजह से घर में बहुत हंगामा मच गया और सिया अपने पिता रवि के घर वापस चली गई। वह रोते हुए अपने पिता से बोली, “पिताजी, मैं अब उस घर में वापस नहीं जाना चाहती। मैं यहीं आपके साथ रहूंगी। यदि आपने मुझे अनुमति नहीं दी, तो मैं खुद को चोट पहुंचा लूंगी।”
पिता रवि ने समझदारी से काम लिया। कुछ दिनों बाद उन्होंने अपनी बेटी से कहा सिया क्या तुम एक बार मेरी बात मानोगी?” सिया ने जवाब दिया ठीक है पिताजी, लेकिन यह आखिरी बार होगा जब मैं उस घर में जाऊंगी।
रवि ने कहा जब तुम अपनी सास किरण से मिलने जाओगी अगर वह तुम्हें कुछ बुरा कहे तो बस एक घूंट पानी पी लेना और तब तक अपने मुँह में पानी रखे रहना जब तक वह बोलना बंद न कर दे। फिर वह पानी सिंक में फेंक देना।
सिया को यह तरीका थोड़ा अजीब लगा, लेकिन उसने अपने पिता की बात मान ली और ससुराल जाकर वैसा ही किया। जब भी किरण बात करना शुरू करती, सिया तुरंत मुँह में पानी भर लेती और कुछ नहीं कहती। कुछ ही दिनों में किरण को लगा कि सिया बहुत समझदार और शांत स्वभाव की है। वह सिया की तारीफ करने लगी और उसके साथ अच्छा व्यवहार करने लगी। सिया की भी किरण के प्रति सोच बदल गई, और धीरे-धीरे दोनों के बीच प्यार और समझ बढ़ने लगी। अब दोनों एक साथ समय बिताने लगे हँसते-बोलते और खरीदारी करने जाते।
कुछ दिनों बाद, सिया के पिता रवि उससे मिलने आए। घर में सभी लोग बहुत खुश हुए और उसका स्वागत किया। रवि ने सिया से कहा अगर तुम मेरे साथ वापस चलना चाहती हो, तो अपना सामान तैयार कर लो। लेकिन सिया ने जवाब दिया, “नहीं पिताजी अब यही मेरा घर है। मैं अपनी सास किरण से बहुत प्यार करती हूँ और उन्हें किसी भी हालत में अकेला नहीं छोड़ सकती। अब वो मेरी माँ जैसी हैं।
रवि ने अपनी बेटी के यह शब्द सुने और वह बहुत खुश हुए। उन्होंने देखा कि सिया और किरण के बीच कितना प्यार और सम्मान है। रवि ने उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएँ दीं और मुस्कुराते हुए वापस चले गए।
सीख: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि रिश्तों में प्यार और समझदारी सबसे महत्वपूर्ण होती है। रिश्ते बनाना आसान हो सकता है, लेकिन उन्हें निभाना कठिन होता है। सच्चे प्यार और धैर्य से ही रिश्तों को मजबूत बनाया जा सकता है।