रितु और समीर में बेइंतहा प्यार था और दोनों ने लव मैरिज की थी। लेकिन धीरे-धीरे रितु को यह एहसास होने लगा कि समीर की नजरों में उसकी अहमियत दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। अब वो उसे पहले जैसा न ही प्यार करता है और न ही समय देता है। ऑफिस से आने के बाद प्यार भरी दो बातें करने की बजाय समीर अपनी ऑफिस की सारी भड़ास रितु पर निकाल देता है। अब वह उसके लिए तनाव दूर करने का सॉफ्ट टारगेट बन गई थी।
पहले रितु इन बातों को गंभीरता से नहीं लेती थी। लेकिन जल्द ही उसे महसूस होने लगा कि यह तो समीर की रोज की आदत बन गई है। अपनी कमियों, असफलताओं और तनाव को उस पर निकालकर कहीं न कहीं वह खुद तो रिलैक्स हो जाता है, पर उसे इमोशनली डिस्टर्ब कर देता है। एकबारगी देखें, तो धीरे-धीरे भावनाओं का यही खिलवाड़ रिश्तों में दूरियों की वजह बन जाता है। कहीं आपके साथ भी तो ऐसा नहीं हो रहा? आपका पार्टनर फिर चाहे वह पुरुष हो या महिला, आपके साथ ऐसा तो नहीं कर रहा?
डॉ. माधुरी सेठ का विचार
डॉ. माधुरी सेठ, जो साइकोलॉजिस्ट हैं और अक्सर इस तरह के केसेस की काउंसलिंग करती रहती हैं, का कहना है कि कपल्स को इमोशनली डैमेज होने से खुद को बचाना बेहद जरूरी है और यह उनकी जिम्मेदारी भी है। अक्सर देखा जाता है कि पत्नी कहती है कि मुझे यहां पहुंचा दो, मैं वहां अकेली नहीं जा सकती या फिर तुम्हारे बिना यह काम नहीं कर सकती। अब बेचारे पति को न चाहते हुए भी वह काम करना पड़ता है, भले ही वह दिल से न चाहता हो, लेकिन इमोशनल ब्लैकमेलिंग के कारण उसे पत्नी का साथ देना ही पड़ता है। यह इमोशनली डैमेज करने का दूसरा पहलू है। इसमें कई तरह के नुकसान साथी को झेलने पड़ते हैं, जैसे- जीवनसाथी के स्वाभिमान को ठेस पहुंचना, उचित मान-सम्मान न मिलना, मानसिक रूप से आहत होना, दबाव महसूस करना, घुटन, टेंशन और डिप्रेशन भी पैर जमाने लगते हैं।
भावनाओं के बिना जिंदगी बेमानी है…
डॉ. माधुरी कहती हैं कि जिंदगी में इमोशंस का होना बहुत जरूरी है, वरना जिंदगी बेमानी है। हम सभी को कोई न कोई इमोशन होता ही है। रोमांस भी एक तरह का इमोशन ही है। लेकिन कोई भी चीज जब अपनी सीमा के बाहर चली जाए, तो गलत ही है। इससे समस्याएं बढ़ती ही हैं, फिर चाहे वो इमोशंस ही क्यों न हों।
इमोशनल फूल
इमोशनली डैमेज होने का एक और उदाहरण कुछ ऐसा है। साक्षी और विनोद का एक-दूसरे से गहरा जुड़ाव और दोस्ती थी। जब विनोद ने वैलेंटाइन पर साक्षी को प्रपोज किया, तो वह हैरान रह गई। गुलाबी शाम, प्यार भरी धुन के साथ फिल्मी अंदाज में प्रपोज करना… सब कुछ इतना खूबसूरत और रोमांटिक था कि भावनाओं में बहकर रोमांचित होते हुए साक्षी ने हां कह दी। एक के बाद एक घटनाएं तेजी से होती गईं। तब बिना कुछ सोचे-समझे इमोशंस के उस बहाव में वह बहती चली गई। लेकिन शादी होने के बाद काफी समय बाद उसे एहसास हुआ कि फैसला लेने में जल्दबाजी हो गई। माना अच्छी दोस्ती थी, लेकिन जिंदगीभर का साथ निभाने के लिए कुछ रुकना और जानना-समझना भी बहुत जरूरी था। अब विनोद द्वारा बात-बात पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करना, अपनी बात जबरदस्ती मनवाना, इमोशनली ब्लैकमेल करना साक्षी को यह एहसास कराता है कि वह कितनी इमोशनल फूल थी। यदि उस समय थोड़ा संभल जाती या रिश्ते को आगे बढ़ाने से पहले थोड़ा समय देती, तो शायद उसकी जिंदगी कुछ और होती। साक्षी जैसी गलतियां कई लड़कियां करती हैं। वह भावनाओं में बहकर गलत फैसले कर लेती हैं।
इमोशंस को मिसयूज न करें…
जब हमारी भावनाएं अपने चरम पर होती हैं, तब अमूमन हम गलत निर्णय ले लेते हैं। इसलिए इमोशंस को सही तरीके से यूज करना जरूरी है। उस पर लगाम लगाना ज़रूरी है और यह हम पर निर्भर करता है। इमोशंस यूज करें, पर मिसयूज कभी न करें।
खामोशी भी खतरनाक…
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें कोई इमोशन ही नहीं होता। प्रायः आपने किसी न किसी को यह कहते हुए सुना होगा कि अरे भई इसे तो कोई इमोशन ही नहीं है। ये भावनाओं को व्यक्त ही नहीं करते। यह भी ठीक नहीं है। इस तरह के लोग अलग तरीके से भावनात्मक रूप से आहत करते हैं। कभी-कभी उनकी खामोशी ही उनका मेंटल टॉर्चर करने का हथियार बन जाती है।
इमोशनल डंपिंग से बचें…
जब जीवनसाथी बेवजह गुस्सा करते हैं, चिल्लाते हैं, मारपीट करते हैं, तब उनके इस तरह के व्यवहार को एक्सपर्ट्स इमोशनल डंपिंग का नाम देते हैं। कई बार इसके कारण ही रिश्तों में कड़वाहट आ जाती है और रिश्ते टूटते भी हैं। इसलिए जब कभी इस तरह की बातें लगातार होते हुए देखें, तो पार्टनर के शांत होने पर उनसे इसके बारे में बात करें। उन्हें प्यार से समझाएं। जरूरत होने पर मैरिज काउंसलर, मनोचिकित्सक व मनोवैज्ञानिक की भी मदद ली जा सकती है। कई बार काउंसलिंग से भी रिश्ते संभल जाते हैं। ध्यान रहे, रिश्तों की मजबूती एक-दूसरे को समझने में है, न कि दुखी करने में।
कुछ इमोशनल डैमेज ऐसे भी…
राज टीनएज में ही पढ़ने के लिए विदेश चला गया था। जब दस साल बाद वापस लौटा, तो उसकी बड़ी इच्छा हुई अपनी नैनी से मिलने की, जिन्होंने बचपन से टीनएज तक उसकी अच्छी तरह से देखभाल की थी। बड़े उत्साह से वह उन्हें मिलने गया। लेकिन नैनी राज से उस गर्मजोशी से नहीं मिलीं, जिसकी अपेक्षा उसने की थी। उनके उदासीन व्यवहार ने उसे इमोशनली इस कदर हर्ट किया कि उससे उबरने में लंबा समय लग गया। राज ने सोचा था कि नैनी आंटी उसे देखकर खुशी से झूम उठेंगी, कहेंगी- “कितना लंबा और बड़ा हो गया है…” स्नेह-दुलार करेंगी। लेकिन ऐसा कुछ भी न होने पर राज का दिल टूट गया। इस तरह के इमोशनल डैमेज से उबरने में वक्त लगता है।
सौ से अधिक इमोशंस…
क्या आप जानते हैं कि हमारे मन में लगभग सौ से अधिक इमोशंस होते हैं, जिनमें से बहुत कम का ही हम इस्तेमाल करते हैं। “मैं गुस्सा हूं…” या फिर “आज मैं बहुत खुश हूं…” को ही अधिक एक्सप्रेस करते हैं, जबकि उदासी, तड़प जैसी भावनाएं भी होती हैं, जिन्हें हम प्रायः व्यक्त ही नहीं करते। आज इस बात की बेहद जरूरत है कि हम सभी भावनाओं का इजहार करें, ताकि रिश्तों में गर्माहट और अपनापन बना रहे।
इमोशनल अलर्ट
हर वक्त जरूरत से ज्यादा भावनाओं में न बहें।
पार्टनर के इमोशंस के साथ-साथ अपने इमोशंस को भी महत्व दें।
रिश्तों में होने वाले मेंटल टॉर्चर यानी इमोशनल डंपिंग से बचें।
ताने मारना, कोसना, बार-बार बेमतलब गलत ठहराना जैसे इमोशनल अत्याचार को बढ़ावा न दें। इसी से रिश्तों में भावनात्मक शोषण की शुरुआत होती है।
एक-दूसरे की बातों को अनदेखा न करें, बल्कि तवज्जो दें। केवल अपनी ही बातें न मनवाते रहें, साथी की आपबीती को जानने में भी दिलचस्पी दिखाएं।
छोटी-छोटी बातों पर ईगो के कारण लड़ाई-झगड़े न करें। इससे इमोशनली डैमेज होने के सिवा कुछ हासिल नहीं होता। क्यों न “कुछ तुम कहो, कुछ हम सुनें, कुछ तुम झुको, कुछ हम संभलें” वाला फॉर्मूला अपनाएं।
जज़्बात को नियंत्रण में रखने के लिए योग-प्राणायाम, मेडिटेशन करें।
वैसे भी यह मानी हुई बात है कि हर जगह पर मटेरियलिस्टिक होने की जरूरत नहीं पड़ती। कई बार पार्टनर का प्यारभरा साथ, एहसास और प्रतिक्रियाएं भी काफी होती हैं। पार्टनर को यह समझना होगा कि इमोशनल होना अच्छी बात है, किंतु प्यार में छोटी-छोटी बात पर ब्लैकमेलिंग करना, बिना साथी की भावनाओं को समझे उसे हर्ट करते जाना, अपनी पसंद और इच्छाओं को अधिक महत्व देना आदि रिश्तों में साइलेंट किलर का काम करते हैं, जो वर्तमान में तो दिखाई नहीं देते, लेकिन आगे चलकर रिश्तों के बिखरने की वजह बन जाते हैं।