एक अति सुंदर महिला ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजर घुमाई। उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है जिसके दोनों हाथ नहीं हैं। महिला को उस अपाहिज व्यक्ति के पास बैठने में झिझक हुई।
सुंदर महिला ने एयर होस्टेस से कहा, “मैं इस सीट पर सुविधापूर्वक यात्रा नहीं कर पाऊंगी क्योंकि साथ की सीट पर जो व्यक्ति बैठा हुआ है, उसके दोनों हाथ नहीं हैं।”
महिला ने एयर होस्टेस से सीट बदलने का आग्रह किया। आश्चर्यचकित एयर होस्टेस ने पूछा, “क्या आप मुझे कारण बता सकती हैं?”
सुंदर महिला ने जवाब दिया, “मैं ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती। मैं ऐसे व्यक्ति के पास बैठकर यात्रा नहीं कर पाऊंगी।”
पढ़ी-लिखी और विनम्र प्रतीत होने वाली महिला की यह बात सुनकर एयर होस्टेस अचंभित हो गई। महिला ने एक बार फिर जोर देकर कहा, “मैं इस सीट पर नहीं बैठ सकती। मुझे कोई दूसरी सीट दे दी जाए।”
एयर होस्टेस ने इधर-उधर नजर घुमाई लेकिन कोई भी सीट खाली नहीं दिखी। उसने कहा, “मैडम, इस इकोनॉमी क्लास में कोई सीट खाली नहीं है। कीमती यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखना हमारा दायित्व है। मैं विमान के कप्तान से बात करती हूं। कृपया तब तक थोड़ा धैर्य रखें।”
ऐसा कहकर एयर होस्टेस कप्तान से बात करने चली गई। कुछ समय बाद वह लौटी और महिला से कहा, “मैडम, आपको जो असुविधा हुई उसके लिए खेद है। इस पूरे विमान में केवल एक सीट खाली है और वह प्रथम श्रेणी में है। हमने एक असाधारण निर्णय लिया है। हमारी कंपनी के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है।”
सुंदर महिला अत्यंत प्रसन्न हुई। इससे पहले कि वह प्रतिक्रिया व्यक्त कर पाती, एयर होस्टेस ने उस अपाहिज व्यक्ति की ओर बढ़ते हुए नम्रता से कहा, “सर, क्या आप प्रथम श्रेणी में जा सकेंगे? हम नहीं चाहते कि आप एक असहज यात्री के साथ यात्रा कर परेशान हों।”
यह सुनकर सभी यात्रियों ने ताली बजाकर इस निर्णय का स्वागत किया। वह अति सुंदर दिखने वाली महिला हैरान थी। तभी उस अपाहिज व्यक्ति ने खड़े होकर कहा, “मैं एक भूतपूर्व सैनिक हूं और मैंने ऑपरेशन के दौरान सीमा पर हुए बम विस्फोट में अपने दोनों हाथ खो दिए। जब मैंने इन देवी जी की बातें सुनीं, तब मैं सोच रहा था कि मैंने किन लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली और अपने हाथ खो दिए। लेकिन जब आप सभी की प्रतिक्रिया देखी, तो अब मुझे अपने आप पर गर्व महसूस हो रहा है कि मैंने अपने देश और देशवासियों के खातिर अपने दोनों हाथ खो दिए।”
इतना कहकर वह व्यक्ति प्रथम श्रेणी में चला गया। सुंदर महिला पूरी तरह से शर्मिंदा होकर सर झुकाए सीट पर बैठ गई। अगर विचारों में उदारता नहीं है, तो ऐसी सुंदरता का कोई मूल्य नहीं है!