सूरत के हीरा उद्योग में मंदी का संकट गहराया, प्राकृतिक हीरे की मांग में भारी गिरावट और फैक्ट्रियों की बंदी
सूरत, जो दुनिया भर में अपने हीरा उद्योग के लिए मशहूर है, इस समय गंभीर मंदी के दौर से गुजर रहा है। यहां के कारोबारी लगातार बढ़ती वित्तीय समस्याओं और वैश्विक मंदी से जूझ रहे हैं। विशेष रूप से, दिवाली के बाद से सूरत की 75 प्रतिशत से अधिक प्राकृतिक हीरे की फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं, जिससे व्यापारियों में चिंता का माहौल है।
प्राकृतिक हीरों की खरीदारी में कमी, प्रयोगशाला में विकसित हीरों का बढ़ता प्रभुत्व
सूरत के हीरा उद्योग में इस समय एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। प्राकृतिक हीरे की खरीदारी में भारी गिरावट आई है, और इसकी जगह अब प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरे की मांग बढ़ती जा रही है। इसका कारण यह है कि लैब-ग्रोन हीरे सस्ते होने के साथ-साथ गुणवत्ता में भी लगभग समान होते हैं, जिससे खरीदार अब इनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। इससे प्राकृतिक हीरों के कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
लंबी मंदी, उद्योग की स्थिरता पर सवाल
सूरत के हीरा कारोबारियों के मुताबिक, इस बार मंदी का असर बहुत लंबा और गंभीर है। सामान्यत: मंदी के चार से आठ महीने में हीरा उद्योग अपनी रफ्तार पकड़ लेता था, लेकिन इस बार दो साल से मंदी की स्थिति बनी हुई है। उद्योगपति दामजी मवानी का कहना है कि यह पहली बार हुआ है कि मंदी का असर इतना लंबा खिंच गया है, और वर्तमान में भी व्यापार में कोई तेजी देखने को नहीं मिल रही है।
सूरत के हीरा उद्योग को वैश्विक संकट का भी सामना
सूरत का हीरा उद्योग विदेशों से आयातित कच्चे हीरे पर बहुत निर्भर है। इस समय, वैश्विक संकटों जैसे अमेरिका और रूस के बीच तनाव, व्यापारिक प्रतिबंध और यूरोपीय देशों में मंदी के चलते, उद्योग को भारी नुकसान हो रहा है। इन घटनाओं का सीधा असर सूरत के उद्योग पर पड़ा है, जिससे व्यवसायियों के लिए स्थिति और भी मुश्किल हो गई है।
कच्चे हीरे की कमी और मंदी की आंच में सेंकते व्यापार
सूरत के व्यापारियों का कहना है कि इस मंदी के कारण उनके पास अब कच्चे हीरे की कमी हो रही है, जिससे वे न तो उत्पादन बढ़ा पा रहे हैं और न ही अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा पा रहे हैं। इसके साथ ही, मांग में कमी के कारण उनकी आर्थिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ा है।
भविष्य की उम्मीदें और नई राहें
इस कठिन दौर से उबरने के लिए सूरत के व्यापारियों ने प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरों का विकल्प अपनाना शुरू कर दिया है। इस कदम से कुछ हद तक बेरोजगारी को रोका गया है, लेकिन प्राकृतिक हीरे की स्थिति में सुधार की कोई स्पष्ट उम्मीद नहीं है। व्यापारी इस समय नई रणनीतियों पर विचार कर रहे हैं, ताकि मंदी के इस दौर से उबरा जा सके, लेकिन पूरी स्थिति अभी भी अस्थिर बनी हुई है।
सूरत का हीरा उद्योग वैश्विक परिस्थितियों और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच अपनी दिशा तलाशने में जुटा है, लेकिन एक लंबी मंदी और आर्थिक संकट से उबरने में कितना वक्त लगेगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है।