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Story of a responsible daughter-in-law: A confluence of in-laws and parents
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एक जिम्मेदार बहु की कहानी: ससुराल और मायके का संगम

शादी के बाद लड़कियों को ससुराल और मायके दोनों की जिम्मेदारियों का ध्यान रखना पड़ता है। सोनल, एक शिक्षित और नौकरी करने वाली लड़की, ने शादी से पहले ही अपने ससुराल वालों को साफ-साफ बता दिया था कि उसे मायके की भी आर्थिक मदद करनी पड़ेगी। उसके पिताजी की हालत खराब थी और छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई चल रही थी। उसने कमल और उसके परिवार को इस बारे में पूरी जानकारी दी थी, और कमल ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि वह इस जिम्मेदारी में उसका साथ देगा।

शादी के बाद, सोनल ने अपने ससुराल और मायके दोनों की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। उसने कमल के परिवार की आर्थिक मदद की, उनके मेहमानों का आदर किया और अपनी नौकरी में भी अच्छा काम किया। हालांकि, शादी के बाद धीरे-धीरे कमल और उसके परिवार के असली रंग सामने आने लगे। उन्हें सोनल की मायके की आर्थिक मदद पसंद नहीं आ रही थी, और उन्होंने सोनल को इस पर बार-बार डांटा।

कमल, जो शादी से पहले सोनल के मायके की मदद के बारे में सकारात्मक था, अब इससे नाखुश हो गया था। सोनल की सास भी इस बात को लेकर असंतुष्ट थी और अपने मायके की मदद को ठीक नहीं मानती थी। सोनल ने कई बार समझाया कि उसने दोनों परिवारों की जिम्मेदारियों को बराबरी से निभाने का प्रयास किया है, लेकिन उसकी बातें अक्सर अनसुनी हो जाती थीं।

एक दिन सोनल के पिताजी का निधन हो गया, और सोनल के लिए यह स्थिति और भी कठिन हो गई। उसने मायके की मदद करना जारी रखा, और इस पर कमल और उसकी सास ने फिर से उसे डांटा। सोनल ने गुस्से में आकर स्पष्ट किया कि उसने कभी अपने मायके की मदद की अपेक्षा नहीं की थी। उसके मायके की परिस्थिति को देखते हुए, वह उन्हें मदद कर रही थी, और यही उसकी जिम्मेदारी थी।

सोनल की बहन ने भी इस स्थिति को समझा और कहा कि एक लड़की के लिए मायके और ससुराल दोनों की जिम्मेदारियों को निभाना जरूरी है। इस पर कमल और उसकी मां को एहसास हुआ कि उन्होंने सोनल के त्याग और मेहनत को सही से नहीं समझा। उन्होंने महसूस किया कि शादी के बाद भी लड़की का मायका पराया नहीं होता है, और मायके की जिम्मेदारी को भी समझना और स्वीकार करना चाहिए।

कमल और उसकी मां ने सोनल से माफी मांगी और अपनी सोच को बदला। उन्होंने स्वीकार किया कि लड़की की जिम्मेदारियाँ ससुराल और मायके दोनों में समान रूप से होनी चाहिए। दोनों परिवारों ने आपस में सहयोग और समझदारी के साथ रहने का निर्णय लिया।

अब सोनल का जीवन थोड़ी बेहतर हो गया। उसके ससुराल वाले उसकी मेहनत और समझदारी की सराहना करने लगे। कमल भी सोनल की जिम्मेदारी और उसके त्याग को मान्यता देने लगा। इस समझ के साथ, सोनल ने अपने जीवन को संतुलित और सुखमय बना लिया, और दोनों परिवारों के बीच प्यार और सहयोग की भावना को मजबूत किया।

सोनल की इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि रिश्ते में समझदारी और सहयोग बहुत महत्वपूर्ण हैं, और हर व्यक्ति की जिम्मेदारी में समानता होनी चाहिए।

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