नव्या बचपन से ही अत्यधिक जिद्दी थी। मां के बिना पली इस बच्ची को सभी लोग संजीवनी की तरह संभालते थे। दादी उसकी लाडली थी, जबकि पापा सचिन दूसरी शादी की तैयारी कर रहे थे। लेकिन नव्या अपनी जिद से हर बार इस रिश्ते को रोक देती थी।
नव्या की मां, सुनीता, दो साल पहले एक एक्सीडेंट में निधन हो गई थी। सुनीता की माँ और दादी ने नव्या की चिंता करते हुए सचिन की दूसरी शादी के लिए एक विकल्प चुना – माया, जो उम्र में बड़ी और शादी नहीं कर पाई थी। लेकिन नव्या इस शादी को मानने को तैयार नहीं थी, उसके मन में यह डर था कि सौतेली मां उसे तकलीफ देगी और पापा भी उसके खिलाफ हो जाएंगे।
जब सचिन ने माया से कहा, “मैं सिर्फ नव्या के भविष्य और अपनी मां की इच्छा के लिए तैयार हुआ हूँ, बाकी किसी चीज की उम्मीद मत करो,” तो माया को बहुत दुख हुआ, लेकिन उसने शादी के लिए हाँ कर दी। माया ने शादी के बाद नव्या को “सौतेली मां” कहकर पुकारा और उसके प्रति कठोरता अपनाई। माया की कोशिशों के बावजूद नव्या उसकी बातों को मानने को तैयार नहीं थी।
समय बीतने के साथ माया ने नव्या की नाराजगी को सहन किया, जबकि सचिन की नीतिगत चुप्पी ने सबको और तनावग्रस्त कर दिया। अंततः माया ने अपने एक स्कूल शिक्षक दोस्त की मदद से सचिन को नव्या की असलियत दिखाई, जिससे सचिन ने नव्या को समझाया कि माया के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए।
हालांकि नव्या की जिद से शुरू में काफी समस्याएँ आईं, लेकिन धीरे-धीरे माया और सचिन का रिश्ता सुधरने लगा। सचिन की मृत्यु के बाद, माया और नव्या दोनों एक-दूसरे के सहारे बन गए। माया ने नव्या के लिए अपना सब कुछ अर्पित किया और नव्या ने माया को अपने जीवन की महत्वपूर्ण हिस्सा मान लिया।
जब नव्या की शादी हुई और सुशांत की मां ने माया के बारे में बुरा कहा, तो नव्या ने पूरी साहसिकता के साथ जवाब दिया, “यह मंगलसूत्र मेरी मां की आखिरी याद है, और माया मां को बुरा कहने का तुम्हें कोई हक नहीं है।”
नव्या के इस जवाब ने सभी को चौंका दिया और माया के लिए एक नई पहचान बनाई। नव्या ने माया को गले लगाकर माँ पुकारा और अपनी सारी गलती स्वीकार की। दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाकर पुरानी बातों को भुला दिया और एक नई शुरुआत की।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सामाजिक पूर्वाग्रह और गलतफहमियाँ किसी भी परिवार को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन प्यार और समझ के साथ इनका समाधान संभव है। किसी भी रिश्ते को गहराई से समझने और उसकी सत्यता जानने की जरूरत होती है।