Jansansar
The story of Poonam's indomitable courage and mother's selflessness
लाइफस्टाइल

पूनम की अदम्य साहस और मां की निस्वार्थता की कहानी

एक गांव में पूनम नाम की एक महिला रहती थी, जिसकी जिंदगी बचपन से ही कठिनाइयों से भरी थी। उसने कभी स्कूल नहीं देखा और उसकी शादी एक छोटे किसान से कम उम्र में कर दी गई थी। उस दौर में कम उम्र में विवाह करना आम बात थी। पूनम के ससुराल वाले उसके प्रति दयालु नहीं थे। सास ने उसे हमेशा काम करने के लिए मजबूर किया और खाना भी बासी देती थी। पति भी उसकी सुनने को तैयार नहीं था और छोटी-छोटी बातों पर चिल्लाता रहता था। पूनम अकेले होने पर बहुत रोती थी।

कुछ महीनों बाद, पूनम गर्भवती हुई। उसे आराम, अच्छा खाना, और प्यार की जरूरत थी, लेकिन ससुराल वालों ने उसे जानवरों के बाड़े में रहने पर मजबूर किया। पूनम ने वहीं एक बेटी को जन्म दिया। बेटी सुंदर थी, लेकिन घरवालों को लड़का चाहिए था। पूनम की सास ने उसे कहा कि उन्हें लड़का चाहिए था, लेकिन किस्मत में जो लिखा था वही होगा। पूनम को पौष्टिक खाना तो दूर, रोज खाना भी मुश्किल से मिलता था, और ऐसे में अपनी बेटी को दूध कैसे पिलाती?

भूख और कमजोरी से व्याकुल होकर, पूनम ने एक दिन अपनी बेटी को लेकर मायके जाने का निर्णय लिया। लेकिन मायके में भी उसे सुसराल लौटने के लिए ही कहा गया। उसकी मां ने कहा कि अब मायका तेरा नहीं रहा, अब तेरा ससुराल ही तेरा घर है। यह सुनकर पूनम चौंकी और उसने मायके से निकलकर अनजान रास्ते पर अपनी बेटी के साथ चलना शुरू किया।

प्यास और भूख से बेहाल, पूनम रात को एक श्मशान में छिप गई, क्योंकि उसने सोचा कि श्मशान सबसे सुरक्षित जगह होगी। उसने श्मशान में जलती चिताओं के पास से आटे का एक गोला ढूंढा और उस गोले से रोटी बनाई। चिता की लकड़ियों पर रोटी सेंककर खा ली। इस अद्भुत संघर्ष के बाद, उसने श्मशान को प्रणाम किया जिसने उसे और उसकी बेटी को जीवनदान दिया।

सुबह स्टेशन पर रहने लगी और रात को श्मशान में सुरक्षित रहकर गुजारा करने लगी। एक दिन जब वह पानी पीने गई, तो लौटते वक्त उसकी बेटी गायब हो गई। पूनम की हिम्मत टूट गई, लेकिन उसने अपनी बेटी की याद में और उन बच्चों को जो स्टेशन पर भीख मांग रहे थे, प्यार करना शुरू किया। वह उन अनाथ बच्चों को अपना मानने लगी और उनकी देखभाल करने लगी।

बड़े शहर में जाकर, पूनम ने बच्चों की सेवा के लिए एक आश्रम स्थापित किया। लोगों ने उसकी मेहनत और प्यार को देखा और मदद की। पूनम के पास धीरे-धीरे हजारों बच्चे आ गए। उसने सभी बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण में कोई कमी नहीं छोड़ी। कई बच्चे डॉक्टर, प्रोफेसर, इंजीनियर और अच्छे नागरिक बने। उन्होंने अपनी मां पूनम को कभी नहीं भुलाया।

एक दिन, 12 साल की एक लड़की पूनम के पास आई, जिसके माता-पिता का निधन हो चुका था। पूनम ने लड़की को ध्यान से देखा और पाया कि उसकी माथे पर वही निशान था जो उसकी गुम हुई बेटी का था। उसे समझ में आ गया कि यह उसकी खोई हुई बेटी ही है। पूनम अपनी बेटी को देखकर बहुत खुश हुई और उसे गले से लगा लिया। पूनम को महसूस हुआ कि उसने दूसरों के बच्चों की देखभाल की, तो भगवान ने उसकी बेटी को सुरक्षित रखा।

यह कहानी पूनम की बहादुरी और मां की निस्वार्थता की मिसाल है। उसने हर मुश्किल का सामना किया, लेकिन कभी भी अपनी बेटी को भूलने का विचार नहीं किया। उसकी मेहनत और सच्चे प्यार ने उसे न सिर्फ अपनी बेटी को फिर से पाया, बल्कि हजारों अनाथ बच्चों के जीवन को भी संवारने में सफलता प्राप्त की।

Related posts

छोटे शहर के सपनों से मार्केट लीडरशिप तक: अंबिका महेश्वरी की प्रेरणादायक यात्रा

Ravi Jekar

Fashion Model Arya कौन हैं? Vogue फीचर्स से लेकर FMA ब्रांड की सफलता तक

Ravi Jekar

अलीगढ़ से विश्वपटल तक : अमर सिंह राही व डॉ.अवनीश राही के महाकाव्य की गूँज

Jansansar News Desk

नई दिल्ली में डॉ. आदित्य पतकराव और केंद्रीय मंत्री वि. सोमन्ना की महत्वपूर्ण बैठक – मुरुड स्टेशन विस्तार, घटनांदुर-श्रीगोंदा-दौंड रेलवे प्रोजेक्ट और बीड स्टेशन विकास पर हुई विस्तृत चर्चा

Jansansar News Desk

जोनल रेलवे सदस्य डॉ. आदित्य पतकराव ने की रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से महत्वपूर्ण बैठक

Jansansar News Desk

Animesh Khare Das की नई किताब “Poems and Verses for Kids” लॉन्च

Jansansar News Desk

Leave a Comment