“जिंदगी की कुछ मुलाकातें हमें हमेशा के लिए बदल देती हैं”
“कुछ कर्ज ऐसे होते हैं जो कभी नहीं चुकाए जा सकते”
शादी के दो साल बाद, जब निकिता गर्भवती होने पर अपने घर राजस्थान जा रही थी, तो उसके पति काम के सिलसिले में बाहर थे। उन्होंने एक रिश्तेदार से निकिता को स्टेशन तक पहुँचाने का अनुरोध किया। ट्रेन के देर से आने के कारण, रिश्तेदार ने उसे प्लेटफॉर्म पर सामान के साथ छोड़ दिया और चला गया। निकिता को पांचवे प्लेटफार्म से ट्रेन पकड़नी थी, और उसे गर्भावस्था का सातवां महीना चल रहा था। सामान अधिक होने के कारण उसने एक दुबले-पतले बुजुर्ग कुली की मदद ली, जिसकी आँखों में पेट पालने की मजबूरी साफ झलक रही थी। निकिता ने पंद्रह रुपये में सौदा तय किया और ट्रेन का इंतजार करने लगी।
डेढ़ घंटे बाद, ट्रेन आने की घोषणा हुई, लेकिन बुजुर्ग कुली कहीं नजर नहीं आ रहा था और दूसरा कोई कुली भी उपलब्ध नहीं था। रात के साढ़े बारह बज चुके थे और निकिता का मन घबराने लगा। तभी वह बुजुर्ग कुली भागता हुआ आता दिखाई दिया। उसने निकिता से चिंता न करने को कहा और तेजी से सामान उठाने लगा। अचानक घोषणा हुई कि ट्रेन अब नौ नंबर प्लेटफार्म पर आएगी, जिससे उन्हें पुल पार करना पड़ा।
बुजुर्ग कुली, जिसकी साँस फूल रही थी, धीरे-धीरे चल रहा था और निकिता भी तेज चलने की हालत में नहीं थी। ट्रेन ने सीटी दी और वे स्लीपर कोच की ओर भागे। डिब्बा प्लेटफार्म के अंत में इंजन के पास था, जहाँ चढ़ना काफी मुश्किल था। निकिता जैसे-तैसे ट्रेन में चढ़ गई, जबकि ट्रेन धीरे-धीरे चलने लगी। कुली अब भी दौड़ते हुए सामान ट्रेन के पास रख रहा था। हड़बड़ाहट में निकिता ने दस और पांच के नोट निकाले, लेकिन तब तक कुली की हथेली दूर हो चुकी थी। ट्रेन की रफ़्तार भी तेज हो गई थी।
निकिता ने बेबस होकर उस कुली की दूर जाती खाली हथेली और उसकी नमस्ते की मुद्रा देखी। उस बुजुर्ग की गरीबी, उसकी मेहनत और सहयोग की झलक उसकी आँखों में कौंध गई। उस घटना के बाद, निकिता ने कई बार स्टेशन पर उस बुजुर्ग कुली को खोजने की कोशिश की, लेकिन वह उसे कभी दुबारा नहीं मिला।
आज निकिता जगह-जगह दान करती है, लेकिन आज तक वह उस कर्ज को नहीं उतार पाई जो उस रात उस बुजुर्ग कुली की कर्मठ हथेली ने किया था। सच है, कुछ कर्ज कभी नहीं उतारे जा सकते।
“कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ मुलाकातें हमें हमेशा के लिए बदल देती हैं। वह बुजुर्ग कुली, उसकी मेहनत और मदद आज भी मेरी यादों में है। कुछ कर्ज कभी नहीं उतारे जा सकते, लेकिन उन यादों को संजो कर रख सकते हैं।”