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Solution to Neha's problem: Direction of solution with the help of police
लाइफस्टाइल

नेहा के संकट का समाधान: पुलिस की मदद से समाधान की दिशा

यह कहानी तब की है जब मेरी बेटी का जन्म हुआ था। मेरी बेटी का जन्म सर्जरी के ज़रिए हुआ था, और इस कारण कुछ हफ्तों के लिए मैं अपने माता-पिता के घर पर ही रहने लगी थी। मम्मी-पापा का घर मेरे मायके से ज्यादा नहीं था, लेकिन यह वही घर था जहाँ मैं बड़ी हुई थी, और माँ-बाप के आशीर्वाद और प्यार के साथ अपने नवजात के साथ यहाँ रहना मुझे बहुत सुकून दे रहा था।
उस दिन दोपहर का समय था। घर का माहौल शांत था, और माँ तथा मेरी नन्हीं बेटी गहरी नींद में सो रहे थे। मैं भी थोड़ी देर आराम करने की कोशिश कर रही थी, तभी बाहर से हल्की सी हलचल सुनाई दी। पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया, पर आवाज़ें तेज़ होने लगीं। थोड़ी उत्सुकता में, मैं खिड़की के पास जाकर झांकने लगी। सामने वर्मा अंकल और आंटी के घर के बाहर भीड़ जमा हो गई थी। श्रीमती वर्मा से हमारे पारिवारिक संबंध हमेशा से अच्छे रहे थे, तो स्वाभाविक रूप से मुझे चिंता हुई।
थोड़ी देर के बाद मैंने अपने नवजात को सोता हुआ देखा और धीरे-धीरे चलते हुए वर्मा अंकल के घर की ओर बढ़ी। जब मैं वहां पहुंची, तो जो नज़ारा मेरे सामने था, उसने मुझे अवाक कर दिया। एक बीस-इक्कीस साल का लड़का दरवाजे के बाहर खड़ा था। उसका चेहरा और शरीर चोटों से भरा हुआ था, जैसे उसकी अभी-अभी पिटाई हुई हो। वह जोर-जोर से चिल्ला रहा था, “नेहा मुझसे प्यार करती है! आप लोगों ने उसे कहीं छिपा दिया है!”
उस लड़के के हाथ में एक ज़हर की शीशी थी, और वह धमकी दे रहा था, “अगर आप लोगों ने मुझे नेहा से मिलने नहीं दिया, तो मैं यही जहर खाकर अपनी जान दे दूंगा!”
मैं पूरी तरह से स्तब्ध थी। स्थिति गंभीर थी और वहां मौजूद लोग भी सहमे हुए खड़े थे। वर्मा अंकल की हालत खराब थी, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। मैंने फौरन अंकल से कहा, “अंकल, पुलिस को फोन कीजिए।”
वर्मा अंकल घबराए हुए बोले, “पुलिस बुलाने से बहुत बदनामी होगी।”
मैंने सख्ती से कहा, “अंकल, जितनी बदनामी होनी थी, हो चुकी। अब अगर इस लड़के ने कुछ कर लिया, तो हमें और बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ेगा।”
मेरी बात सुनते ही अंकल को थोड़ी समझ आई, लेकिन इससे पहले कि वे पुलिस को फोन कर पाते, वह लड़का पुलिस का नाम सुनते ही वहां से भाग खड़ा हुआ। उसके जाने के बाद वर्मा अंकल और आंटी ने राहत की सांस ली, लेकिन अब उनके बीच तनाव का माहौल और बढ़ गया था।
जैसे ही लड़का भागा, अंकल का गुस्सा फूट पड़ा। वह पूनम आंटी पर चिल्लाते हुए बोले, “मैंने कहा था कि नेहा को ज्यादा पढ़ाने-लिखाने की जरूरत नहीं है। उसकी शादी कर देते तो आज ये सब नहीं होता। बड़े भाई साहब का भी फोन आया था, वे कह रहे थे कि लड़के का बाप शादी के लिए तैयार है। अब भुगतो!”
यह सुनकर पूनम आंटी का गुस्सा भी भड़क उठा। “कौन होता है वह लड़के का बाप, जो मेरी बेटी की ज़िंदगी का फैसला करेगा? नेहा हमारी बेटी है, और उसकी शादी का फैसला हम करेंगे। मैं उस पागल लड़के से नेहा की शादी बिल्कुल नहीं करूंगी!”
अंकल और भी गुस्से में आकर बोले, “तो फिर किसने कहा था लड़कों से दोस्ती करने के लिए? हंस-हंसकर बात करने के लिए? अब भुगतो इसका परिणाम!”
अब तक मैं चुप थी, लेकिन अब मुझसे भी नहीं रहा गया। मैंने गुस्से में कहा, “लड़की ने हंसकर बात कर ली तो वह फंस गई? दोस्ती कर ली तो वह बिगड़ गई? अब कर दो उसकी शादी, भेज दो किसी और के घर, और बस मैटर क्लोज हो गया? चाहे वो जिए या मरे, आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा, है ना?”
मेरी बात सुनकर अंकल थोड़ा सहम गए। उन्होंने मुझे बैठने के लिए कहा और पूनम आंटी पानी लेने चली गईं। इतने में मेरे मम्मी-पापा भी वहां आ गए, अपने एक दोस्त के साथ, जो पुलिस में थे। उन्हें भी यह बात अब पूरे मोहल्ले में फैल जाने की वजह से पता चल चुकी थी।
पापा के दोस्त, राजेश अंकल, जो पुलिस में थे, आते ही स्थिति को समझने लगे। उन्होंने सबसे पहले कहा, “पहले नेहा को बुलाइए। हमें उससे बात करनी होगी।”
वर्मा अंकल ने अनमने भाव से नेहा को बुलाया। नेहा बहुत डरी-सहमी हुई थी। उसकी आंखों में साफ़ डर और चिंता दिखाई दे रही थी। राजेश अंकल ने उसे बैठने को कहा और बोले, “डरने की कोई जरूरत नहीं है, बेटा। जो भी बात है, वह साफ-साफ बताओ, तभी हम तुम्हारी मदद कर पाएंगे।”
नेहा ने गहरी सांस लेते हुए कहा, “यह लड़का मेरे कॉलेज में पढ़ता है। शुरू में तो सिर्फ हाय-हैलो होती थी, लेकिन फिर उसने किसी तरह मेरा नंबर पता कर लिया और मुझे कॉल करने लगा। हमने थोड़ी बात की, लेकिन जब उसने मुझसे शादी का प्रस्ताव रखा, तो मैंने साफ मना कर दिया। मैंने उसे कहा कि अभी मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करनी है और अपना करियर बनाना है। इसके बाद वह मेरे पीछे ही पड़ गया। वह मुझे बार-बार फोन करने लगा और कॉलेज से घर तक मेरा पीछा करने लगा। मैंने उसका नंबर ब्लॉक कर दिया, लेकिन फिर उसने अलग-अलग नंबरों से फोन करना शुरू कर दिया। थक-हार कर मैंने अपना सिम ही बदल दिया। लेकिन अब कुछ दिनों से मैं कॉलेज भी नहीं जा रही हूँ।”
इतना कहते-कहते नेहा का गला भर आया और वह रोने लगी।
राजेश अंकल ने उसकी बातें बहुत ध्यान से सुनीं और बोले, “नेहा, अगर तुमने पहले ही इस लड़के के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई होती, तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता। लेकिन तुम अकेली नहीं हो, यह समस्या अक्सर होती है।”
वर्मा अंकल और पूनम आंटी थोड़े असहज हो गए थे, लेकिन राजेश अंकल ने उन्हें समझाया, “देखिए, आप लोग पुलिस को हमेशा डर के नजरिए से क्यों देखते हैं? पुलिस का काम आपकी मदद करना है, न कि बदनामी करना। आप लोग पुलिस को एक दुश्मन की तरह देखते हैं, लेकिन अगर आप पहले ही पुलिस को सूचित कर देते, तो यह लड़का इतनी हिम्मत नहीं कर पाता।”
राजेश अंकल ने उस लड़के के पिता को भी बुलवा लिया था। जब वह पहुंचे, तो राजेश अंकल ने उन्हें सख्त लहजे में कहा, “अगर आपका बेटा मानसिक रूप से बीमार है, तो उसका इलाज कराइए। और अगर वह जानबूझकर नेहा को परेशान कर रहा है, तो उसे समझाइए। नहीं तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। आज मैं आपको एक दोस्त की तरह समझा रहा हूँ, लेकिन अगर उसने अपनी हरकतें बंद नहीं कीं, तो कल मैं वर्दी में आऊंगा और तब आपको मेरा दूसरा रूप देखना पड़ेगा।”
यह कहने के बाद राजेश अंकल ने एक और गंभीर बात कही, “आपका बेटा आज जो कर रहा है, उसके लिए कहीं न कहीं आप भी जिम्मेदार हैं। बचपन से उसकी हर जायज-नाजायज मांग पूरी करने की वजह से आज वह आपसे भी नाजायज मांग कर रहा है। आपकी बेटी कोई खिलौना नहीं है, जिसे आप अपने बेटे की ज़िद्द में सौंप दें।”
वर्मा अंकल और आंटी को यह बात समझ में आ गई थी कि पुलिस से डरने की बजाय उसकी मदद लेनी चाहिए। उन्होंने इस घटना से सबक लिया और नेहा को सुरक्षा देने के लिए उचित कदम उठाने का फैसला किया।

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