Jansansar
राष्ट्रिय समाचार

श्री सोमेश्वर पांडेय की इक्कीसी: मानवता और प्रकृति का काव्यात्मक मिलन

प्रिय पाठको सादर नमस्कार! दिसम्बर 2023 में “इक्कीसी” शीर्षक से एक सुंदर कविता संग्रह प्रकाशित हुआ है, जिसके रचयिता श्री सोमेश्वर पांडेय है। इस कविता संग्रह में कुल इक्कीस कविताएं संकलित हैं, जो मुख्यत: पर्यावरण यथा पेड़, नदी, सागर, पर्वत आदि के संरक्षण पर केंद्रित है। साथ ही इसमें माता-पिता, परिवार, समाज, विद्यालय और भाषा के प्रति हमारी संवेदनाओं को भी संबोधित किया गया है।

मानव के उपभोक्तावादी स्वभाव के परिणामस्वरूप निरंतर कटते पेड़, प्रदूषित और प्रभावित होते पर्वत, नदी, नाले, सागर और जलस्रोत या यूं कहें सारी प्रकृति और जीव जन्तु – जो लेखक के जीवन का अब तक का अनुभव हैं, पीड़ा हैं, भाव हैं – और कल्पना हैं। इन्हीं भावों के अनुभवों को – शब्दों में गढ़कर – कविताओं के माध्यम से लेखक ने पाठकों के लिए सादर प्रस्तुत किया है ।

लेखक का कहना है ‘मुझे विश्वास है आप अपने मनोभावों को मेरी इन कविताओं में अभिव्यक्त पाएंगे। प्रकृति, परिवार और समाज के विभिन्न घटकों के हमारे अन्योन्य आश्रित सम्बंध और भावों को आप अपने निजत्व के बहुत निकट पाएंगे और यदि ये कविताएं आपके उन्हीं भावों को स्वर देती हैं तो यकीनन मेरा यह विनम्र प्रयास सार्थक हुआ।’

जैसे कि एक पाठक ने अपनी प्रतिक्रिया दी है : ‘मुख्यतः पर्यावरण के मुद्दे पर केंद्रित कविताओं की पुस्तक, जिसे पूरी सम्वेदनशीलता के साथ दिल से गढ़ा गया है. आकार बहुत वृहद नहीं है, 2 चाय की प्याली के साथ इस किताब के सबक को सीखा जा सकता है. पढ़िए, समझिए और कुछ बेहतर बनिए… बहुत शुभकामनाएं लेखक को!’

यदि आप इस कविता संग्रह को पढ़ने के इच्छुक हैं तो निम्न लिंक पर जाकर अपनी प्रति मंगवा सकते हैं:  इक्कीसी / Ikkese https://amzn.in/d/8A6qzKH

प्रश्न 1. ‘इक्कीसी’ कविता संग्रह में आम पाठक के लिए क्या है

उत्तर:- इसमें आम पाठक को हमारे घर, शहर और जीवन की अंधाधुंध बढ़ती जरूरतों की भरपाई के लिए कटते हरे-भरे पेड़, यहाँ तक कि सूखे पेड़-पहाड़, शहर की आपाधापी, ईएमआई से चलता हमारा जीवन आदि विषयों पर सीधे, सरल, सहज और स्पष्ट रूप से व्यक्त भाव मिलते हैं, जिनमें कोई शाब्दिक क्लिष्टता, बनावट नहीं, कोई अतिरिक्त सम्पादन व परिमार्जन नहीं है।  यह भाव आपको सहजता से अपने साथ लेकर चलते हैं और शीघ्र ही आपके स्वयं के भाव, सवाल और जवाब बन जाते हैं। कवि ने अंतिम पृष्ठ पर लिखा भी है “सवाल का जवाब हूँ, जवाब का सवाल हूँ। मैं बस इक भाव हूँ, या फ़क़त ख्याल हूँ… ।”

प्रश्न 2. किताब के मूल के बारे मे/ दृष्टिकोण के संबंध बारे में कुछ बताएं

उत्तर – इक्कीस कविताओं का यह संग्रह छोटा परंतु कसा हुआ, प्रवाहयुक्त एवं भावपूर्ण है और कवि की किसी दृश्य या घटना को देख उसे शब्दों के माध्यम से चित्रित करने की त्वरित रचनात्मकता को खूब दर्शाता है। इससे पाठक भी सहजता से ही उस भाव को महसूस भी करने लगता है। विशेष रूप से पर्यावरण संबंधी और हमारे जीवन से जुड़े विभिन्न विषयों के सूक्ष्म पहलुओं के प्रति कवि की नज़र और उनका प्रभावपूर्ण सजीव उल्लेख इन रचनाओं को सार्थक बनाता है।

प्रश्न 3: इक्कीसी के दिलचस्प पहलू के बारे में बताएं

उत्तर – शब्द ब्रह्म की परम सत्ता को दर्शाता ‘स्वर मंगलगीत’, शहर और गाँव के भेद को बताती कविता ‘कविता क्या है’, ‘अपने हिस्से का शहर’, बाल मन के पेड़, प्रकृति और पशु पक्षियों से लगाव, इतिहास की उपमा का सुंदर प्रयोग और मानव की उपभोक्तावादी प्रवृत्ति को उजागर करती कविता ‘सूखा पेड़’, पेड़ों के कटान और जलवायु परिवर्तन के भयावह भविष्य की ‘चेतावनी’,  परिवार की केंद्र ‘माँ’, पालक ‘पिता’, मित्रों के लिए ‘ठहर अपनों संग जुड़ और ऊंचा उड़’, जीवनसाथी संग ‘तागा – तागा जिंदगी’ तथा ‘विद्यालय’ जैसी सभी पक्षों से सजी कविताओं  का यह गुलदस्ता इस कविता-संग्रह को भावपूर्ण बनाता है ।

साथ ही मुखौटे, टीस, वारिस, हिन्दी भाषा और हिंदी दिवस आदि कविताओं के माध्यम से हमारे वर्तमान सामाजिक, भाषायी और राजनीतिक ताने-बाने को सामने लाता है। वही दूसरी ओर मेरी नाव ठीक कर दे, एक प्रश्न, मिट्टी, बिछोह आदि कविताएं आपको जीवन की वास्तविकता और दर्शन की ओर ले जाती हैं तो कविता ‘स्वर्णिम पथ’ युवाओं को असफलता से निराश न होने और निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देती है।

प्रश्न 4. आपको इस किताब की प्रेरणा कहां से मिली?

उत्तर – प्रेरणा का आधार है माता – पिता से मिली ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ की शिक्षा। ये सभी विषय बड़े सामान्य विषय हैं, जो एक सहृदय के मन में सतत चलते रहते हैं और बचपन में देखे खेत – खलिहान और गाँव, जो समय के साथ – साथ कंक्रीट के जंगल में बदल गए, सप्ताहांत में जहाँ खेलने जाते थे – दूषित होती वो नदियां और तालाब – समाज में मानव की बढ़ती उपभोक्तावादी प्रवृत्ति तथा जलवायु संरक्षण तथा एक दूसरे को पर्यावरण के प्रति गलत करने से रोकने के प्रति उदासीनता जैसे कि “मुझे क्या?” की प्रवृत्ति ने लेखक की इसी चिंता और पीड़ा को शब्द दिए। वास्तव में पर्यावरण और परिवार, समाज के बदलते रूप और मूल्यों का आईना है ये कविताएं, जो पर्यावरण, परिवार, समाज के प्रति सुप्त पड़ी हमारी संवेदनाओं को जगाने का प्रयास करती हैं।

प्रश्न 5. तो क्या पर्यावरण चिंतन ही प्रेरणा का मुख्य आधार है   

उत्तर – जी हाँ, और यह सच भी है कि आज शहर स्मार्ट हो रहे हैं पर रुंड- मुंड हो रहे हैं। कवि के इस चिंतन में हरी – भरी प्रदूषण मुक्त वसुंधरा की कल्पना है इसलिए पेड़ यहाँ तक की आँगन के सूखे पेड़ तक से जुड़ी बड़ों और बच्चों की भावनाएं और अनुभव “मुन्ना खिड़की में खड़ा पेड़ को कटते देख रो रहा था…।”[सूखा पेड़ – पृष्ठ 28], गाँव के स्वच्छ और सुकून भरे जीवन की शहर के ईएमआई और आपाधापी वाले जीवन से तुलना – जहाँ कवि ने एक जगह कहा भी है ‘कुछ बाहर सपने बेचते पोस्टर की देख – दिखाई में, और करते गणना अपनी ईएमआई में’ [बड़ा शहर -13]{मुख पृष्ठ} , हमारे जीवन में माता – पिता, विद्यालय, मित्रों की उपस्थिति और महत्व को समझाती कई कविताएं शामिल हैं।  इसके अतिरिक्त हिन्दी भाषा के प्रति प्रेम दर्शाती और कुर्सी की राजनीति पर तंज करती कविताएं भी इसमें शामिल हैं।

प्रश्न 6: अगला कविता संग्रह कब रहा है और किस विषय पर होगा

उत्तर – शीघ्र ही। परंतु यह कहना कठिन है किस विषय पर होगा ? निश्चित रूप से मानव मन के विभिन्न भावों और अनुभवों को समेटे हुए होगा, जो आपके मन के भी बहुत समीप होंगे और आपका स्नेह पाएंगे। इस कविता संग्रह को स्नेह देने के लिए आपका बहुत – बहुत आभार।

https://www.flipkart.com/ikkese/p/itmf588458b788d9?pid=9789357747929&lid=LSTBOK9789357747929FUM7D6&marketplace=FLIPKART&cmpid=content_book_8965229628_gmc

 

Related posts

काईट में आई ई ई ई सस्टेनेबल सॉल्यूशंस फॉर ह्यूमैनिटी 2024 के दूसरे चरण का आयोजन हुआ संपन्न

Jansansar News Desk

सेवा सेतु का अर्थ है ‘घर बैठे गंगा’: लाभार्थी दिनेशभाई प्रजापति

Jansansar News Desk

बारडोली तालुका में “तंबाकू युवा अभियान 2.0”: जन जागरूकता और सख्त दंडात्मक कार्रवाई

Jansansar News Desk

सूरत नगर निगम को मिला राष्ट्रीय जल पुरस्कार: सर्वश्रेष्ठ शहरी स्थानीय स्व-सरकारी संगठन का खिताब

Jansansar News Desk

जिला कलेक्टर डॉ. सौरभ पारधी की अध्यक्षता में समन्वय एवं परिवाद समिति की बैठक: महत्वपूर्ण निर्णय और निर्देश

Jansansar News Desk

उकाई-काकरापार सिंचाई योजना की बैठक मंत्री मुकेशभाई पटेल ने जल संरक्षण और फसल प्रबंधन पर जोर दिया

Jansansar News Desk

Leave a Comment