एक बेटे होने के नाते यह कहानी जरूर पढ़ें ,80 वर्षीय श्यामलाल अपने 45 वर्षीय उच्च शिक्षित बेटे कैलाश के साथ अपने घर के सोफे पर बैठे थे। अचानक उनकी खिड़की पर एक कौआ आकर बैठ गया। श्यामलाल ने अपने बेटे कैलाश से पूछा, “यह क्या है?” कैलाश ने जवाब दिया, “यह एक कौआ है।”
कुछ मिनट बाद श्यामलाल ने कैलाश से फिर पूछा, “यह क्या है?” कैलाश ने कहा, “पिता जी, मैंने अभी आपको बताया है कि यह एक कौआ है।”
थोड़ी देर बाद श्यामलाल ने फिर से पूछा, “यह क्या है?” इस बार कैलाश के स्वर में गुस्सा साफ महसूस किया जा सकता था जब उसने अपने पिता से फटकार के साथ कहा, “यह एक कौआ है, एक कौआ।”
कुछ समय बाद श्यामलाल ने फिर से वही सवाल किया, “यह क्या है?” इस बार कैलाश अपने पिता पर चिल्लाया, “आप क्यों बार-बार मुझसे एक ही सवाल पूछते रहते हैं? मैंने आपको कई बार कहा है कि यह एक कौआ है। क्या आप इसे समझ नहीं पा रहे?”
थोड़ी देर बाद श्यामलाल अपने कमरे में गए और एक पुरानी फटी हुई डायरी लेकर वापस आए। उन्होंने डायरी का एक पन्ना खोला और कैलाश को उसे पढ़ने के लिए कहा। डायरी में लिखा था:
“आज मेरा तीन साल का छोटा बेटा कैलाश मेरे साथ सोफे पर बैठा था। जब एक कौआ खिड़की पर आकर बैठा, तो कैलाश ने मुझसे 23 बार पूछा, ‘यह क्या है?’ और मैंने हर बार उसे प्यार से जवाब दिया कि यह एक कौआ है। हर बार जब उसने मुझसे यह सवाल किया, तो मैंने उसे प्यार से गले लगाया। मुझे बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आया, बल्कि मुझे लगा कि मेरा बच्चा कितना मासूम है।”
श्यामलाल ने कहा, “23 बार जवाब देने में मुझे कोई गुस्सा नहीं आया, और आज जब मैंने तुमसे वही सवाल पूछा, तो तुम चार बार में ही चिढ़ गए और नाराज हो गए!” यह सुनकर कैलाश का सिर शर्म से झुक गया।
अगर आपके माता-पिता वृद्धावस्था में हैं, तो उन्हें कभी नकारें नहीं या उन्हें बोझ के रूप में न देखें। उनसे प्यार से बोलें, शांत, विनम्र, और दयालु बनें। अपने माता-पिता के प्रति विचारशील रहें और उन्हें हमेशा खुश रखने की कोशिश करें। उन्होंने आपके लिए बहुत त्याग किए हैं, इसलिए उनकी देखभाल करना आपका फर्ज़ है!