मां-बाप का इकलौता बेटा था। बचपन से ही बेटे में देशप्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी थी। बड़ा होकर वह सेना में भर्ती हुआ। कुछ महीनों बाद ही उसे दूसरे देश से छिड़े युद्ध के लिए बॉर्डर पर भेजा गया।
युद्ध पर जाने के बाद कई दिनों और फिर महीनों तक भी मां-बाप को बेटे की कोई खबर, तार या फोन नहीं मिला। वे अपने बेटे का बेसब्री से इंतजार करते रहे और भगवान से उसकी सलामती की प्रार्थना करते रहे।
एक दिन अचानक उनके फोन की घंटी बजी और दूसरी तरफ से उनके बेटे की आवाज आई। मां-बाप की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने बेटे का हालचाल पूछा।
बेटे ने थोड़ी देर बात करने के बाद कहा कि वह उनसे एक बात की इजाजत मांगना चाहता है। मां-बाप ने कहा, “बोलो बेटा, क्या बात है?”
बेटे ने कहा कि वह घर वापस आ रहा है, लेकिन अपने एक दोस्त को भी साथ ला रहा है। मां-बाप ने कहा, “हां, हां, उसे भी साथ लेकर आओ।”
बेटे ने कहा, “पहले पूरी बात तो सुन लीजिए। वह दोस्त भी मेरे साथ सेना में था और अब वह हमेशा हमारे साथ ही रहेगा।”
मां-बाप ने थोड़ा सोचने के बाद कहा, “ठीक है, बेटा, उसे भी साथ ले आओ। वह भी हमारे परिवार का हिस्सा रहेगा।”
बेटा बोला, “लेकिन आप मेरी पूरी बात क्यों नहीं सुन रहे? मेरे उस दोस्त का एक हाथ और एक पैर नहीं है। युद्ध के दौरान हुए बम धमाके में उसका एक हाथ और एक पैर चला गया। अब मैं उसे अपने घर लाना चाहता हूं, और उसकी देखभाल हमें करनी पड़ेगी।”
यह सुनकर मां-बाप एकदम शांत हो गए। थोड़ी देर की चुप्पी के बाद मां-बाप ने कहा, “अरे बेटा, क्यों इतना झंझट मोल ले रहे हो? उसे उसकी हालत पर ही छोड़ दो। वह हमारे लिए एक बोझ से ज्यादा कुछ नहीं होगा।”
बेटे ने यह सुनकर तुरंत फोन काट दिया। मां-बाप दिन-ब-दिन उसकी राह देखते रहे, हफ्ते बीत गए, महीनों बीत गए, लेकिन ना बेटा आया और ना ही उसकी कोई खबर मिली।
एक दिन, आर्मी का एक अधिकारी उनके घर आया और उन्हें बताया कि उनके बेटे ने आत्महत्या कर ली है और उनकी लाश घर लाने की तैयारी की जा रही है।
मां-बाप के होश उड़ गए। वे जैसे-तैसे खुद को संभालते हुए बेटे के शव के पास पहुंचे। जब उन्होंने बेटे की लाश देखी तो उन्हें एक और बड़ा झटका लगा, क्योंकि उनके बेटे का एक हाथ और एक पैर नहीं था।
अब उन्हें बहुत पछतावा हुआ। अगर उन्होंने उस दिन फोन पर अपने बेटे को उसके दोस्त को लाने की अनुमति दे दी होती, तो आज उनका बेटा उनके साथ होता। दरअसल, उनका बेटा अपने दोस्त का बहाना बनाकर यह जानना चाहता था कि वह खुद उनके लिए बोझ तो नहीं बनेगा। जब उसे यह अहसास हुआ कि वह अपने माता-पिता के लिए केवल एक बोझ है, तो उसने घर लौटने के बजाय दुनिया से अलविदा लेना ही बेहतर समझा।
दोस्तों, दुनिया ऐसी ही है। लोग आपको तभी प्यार करते हैं जब आप उनके लिए किसी काम के होते हैं। लेकिन, बेटे का उठाया कदम बिल्कुल गलत था। किसी भी परिस्थिति में हमें जीवन से हार नहीं माननी चाहिए।