श्रीमती भारती जब रोटी बना रही थीं, तभी किसी ने दरवाजे की घंटी बजाई। बेचारी भारती रसोई में अपने आटे से सने हाथों को धोने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन दरवाजे की घंटी लगातार बज रही थी। वह लगातार कह रही थीं, “थोड़ा रुको… मैं आ रही हूं।” इस उम्र में वह भागकर दरवाजा खोलने भी नहीं जा सकती थीं।
जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला, उन्होंने देखा कि उनकी बेटी राधिका दरवाजे के बाहर खड़ी थी। यह देखकर भारती आश्चर्यचकित हो गईं कि बिना बताए राधिका अचानक कैसे आ गई। अपनी बेटी को देखकर भारती बोलीं, “आने से पहले बताना तो चाहिए था। अकेली ही आई हो क्या? जमाई जी और बच्चे कहां हैं?” भारती ने एक साथ कई सवाल पूछे।
राधिका ने जवाब दिया, “मां! क्या कोई अपनी प्यारी इकलौती बेटी का ऐसे स्वागत करता है? मुझे लगा कि तुम मुझे अचानक देखकर बहुत खुश हो जाओगी और सबसे पहले मुझे गले लगा लोगी, पर यहां तो उल्टा ही हो रहा है। शायद तुम दुनिया की पहली मां होगी जो बेटी को ससुराल से अपने घर आते देख खुश होने के बजाय चिंता में पड़ गई!”
“क्या मैं अकेली इस घर नहीं आ सकती? क्या हमेशा दामाद और बच्चों के साथ ही आना जरूरी है?” कहते हुए राधिका घर में प्रवेश कर गई और अपना सामान रखकर बोली, “भाभी कहां पर हैं? भाभी जल्दी चाय नाश्ता लेकर आओ, आपकी ननद आई है।”
श्रीमती भारती ने कहा, “बहू घर पर नहीं है, वह अपने मायके गई है।”
राधिका ने फिर कहा, “अच्छा, इसलिए तुम घर संभाल रही हो और खाना बना रही हो मां! तुम्हारी बहू के तो बड़े ठाठ हैं, बहू मजे से घूम रही है और सास घर संभाल रही है। देखो ना, आपने बहू के आने से पहले ही खाना बना कर रखा है। उसे घर आकर कुछ भी काम करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। बड़े नसीब लेकर आई है आपकी बहू। और एक मैं हूं, जिसे उसकी सास कभी एक गिलास पानी भी नहीं पूछती!”
मां ने उसे समझाते हुए कहा, “बेटा, प्यार और इज्जत ऐसी चीज है जो हम पहले किसी को देते हैं, फिर उससे अपेक्षा रखते हैं कि वह भी हमें वापस दे। हर एक लड़की को अपने ससुराल में जगह बनानी पड़ती है। वहां कुछ भी आसानी से नहीं मिलता। तुम अपनी सास से एक गिलास पानी की अपेक्षा करती हो, तुम तो उनकी बहू हो, फिर भी तुमने कभी उन्हें एक गिलास पानी दिया है क्या?”
“तुम शादी के बाद ससुराल में रही ही कितने दिन? जब तुम्हारे मन को लगा तब अपनी बैग भरी और सीधा मायके आ जाती हो। मायका और ससुराल एक ही शहर में है, इसका मतलब यह नहीं होता है कि तुम जब चाहो तब मायके आ जाओ और चाहो उतने दिन रह कर वापस ससुराल चली जाओ। मायके में भी बेटी को मान-सम्मान तभी मिलता है, जब बेटी ससुराल का मान-सम्मान रखकर मायके में कुछ दिनों के लिए आती है, तभी उसे मान-सम्मान मिलता है।”
“ऐसा हर रोज बिन बुलाए कोई कारण न होते हुए भी कोई बेटी मायके आती होगी, तो उसको साधारण पूछताछ भी कोई करता नहीं और तुम मेरी बहू को बोलती हो ना? तुम तो मेरी बहू की बराबरी ही मत करो। वह कभी भी बिना बुलाए अपने मायके नहीं जाती है और गई भी तो वहां की कोई भी बात में वह कुछ नहीं बोलती। वह जब घर में रहती है, तब वह मुझे घर के कोई भी काम को हाथ लगाने नहीं देती, अब मेरी इच्छा से घर के काम कर रही हूं। वह मुझे काम करने को नहीं कह गई।”
“अपनी बेटी को मां के सिवाय अच्छा कौन समझ सकता है? मुझे तुम्हारा स्वभाव अच्छी तरह पता है। तुम्हारे ससुराल में सब लोग अच्छे हैं, तुम ही उनके साथ मिलजुल कर नहीं रहना चाहती। ससुराल तो ससुराल होता है और मायका तो मायका होता है। मायके में घर का काम अपनी मर्जी से होता है। ससुराल में सबसे पहले सबका दिल जीतना पड़ता है, सबको अपना बनाना पड़ता है। उसके लिए छोटों से लेकर बड़ों तक सबको प्यार करना पड़ता है, सबकी पसंद-नापसंद का ध्यान रखना पड़ता है, सबसे प्यार से बोल कर सबको उनके घर के कामों में मदद करनी पड़ती है। तभी सब लोग घर में आई नई बहू को स्वीकार करते हैं। उसे अपना मानते हैं।”
“तुम जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार ही नहीं हो। इसलिए रोज-रोज मायके चली आती हो। यहां आकर भी वही करती हो। अभी की बात देख लो, घर में कदम भी नहीं रखा, उतने में भाभी को ऑर्डर देना शुरू कर दिया!”
“भाभी मेरे लिए चाय-नाश्ता लेकर आओ। वह व्यक्ति घर में है या नहीं, वह कैसी है, उसकी तबीयत कैसी है, यह पूछना भी जरूरी नहीं समझा! घर में आए मेहमान की मेहमान नवाजी होती है, पर उनका बर्ताव सामने वाले व्यक्ति को पसंद आया तो मेहमान नवाजी न मांगते पूरी होती है। पर तुम्हारा ऐसा बर्ताव मुझे ही पसंद नहीं आता, तो तुम्हारे ससुराल के लोगों को कैसे पसंद आएगा? तुम बोलती हो ना मेरी बहू का बहुत ठाट है, तो वो बात सही है, उसने यहां हमारा दिल जीत लिया है और हर एक के दिल में खुद की जगह बनाई है।”
“वह रोज-रोज तुम्हारे जैसी ससुराल के लोगों के साथ झगड़ा करके मायके नहीं जाती, इस वजह से ससुराल और मायका दोनों जगह उसकी इज्जत होती है। जब तक उसे अपने मायके से बुलावा नहीं आता, तब तक वह जाती नहीं।”
आज मां ने ही अपनी बेटी को उसके बर्ताव के दोष दिखाए, क्योंकि उसे लगता था कि अगर अपनी बेटी को अभी नहीं समझाया तो वह कभी नहीं समझेगी। तब तक बहू भी घर आ गई, उसने राधिका को देखते ही बोली, “अरे दीदी, आप कब आईं? मुझे फोन किया होता तो मैं जल्दी घर आ गई होती ना…” इस पर राधिका बोली, “नहीं-नहीं भाभी, मैं वापस जा रही हूं! अभी ही मेरी सास का फोन आया था। उनके सीने में दर्द हो रहा है। मुझे वापस जाना है। आऊंगी वापस कभी।” बोलकर राधिका अपना सामान लेकर चली गई। तभी उसकी भाभी ने उसे रोकने का प्रयास किया, पर उसकी सास ने ही अपनी बेटी को रोकने से मना किया और अपनी बहू से बोली, “बहू, जाने दो उसे। पहले अपना घर संभालने दो। उसके बाद उसे मायके में आने दो। तुम भी किसी के बुलाने पर ही मायके जाती हो ना?”
काफी महीने हो गए, राधिका का फोन नहीं आया था। वह खुद भी मायके नहीं आई, इसलिए उसकी मां ने उसे फोन किया। शुरुआत में किसी ने भी फोन नहीं उठाया। फिर थोड़ी देर बाद फोन किया तो फोन उठाया, लेकिन राधिका ने नहीं, उसकी सास ने उठाया।
तभी भारतीजी ने उनकी तबीयत का पूछा। फिर दोनों की बातें शुरू हुईं। तभी बीच में ही राधिका की सास ने उसकी मां को धन्यवाद कहा। अचानक उनके ऐसे बोलने पर भारतीजी को कुछ समझ नहीं आया। इसलिए उन्होंने वापस पूछा, “आप और किसी से बात कर रही हो क्या?”
राधिका की सास बोलीं, “नहीं तो।”
“फिर आप धन्यवाद किसको कह रही थीं?” भारतीजी ने पूछा।
राधिका की सास बोलीं, “आपकी बेटी राधिका अब बहुत समझदारी से बर्ताव कर रही है। वह सभी को अपना बनाने की कोशिश कर रही है। सभी की मनपसंद का खाना बनाकर खिला रही है। घर में बहुत आनंद का वातावरण बना है। कोई भी झगड़ा नहीं हो रहा है, जैसे स्वर्ग ही बन गया हो मेरा घर! इसलिए मैं आपको धन्यवाद कह रही हूं।”
“आपकी बेटी के अच्छे बर्ताव से हमें यह दिन देखने को मिला है। हम बहुत धन्य हो गए। पहले हमें उसकी तरफ से कोई भी अपेक्षा नहीं थी, पर आपने उसे समझाकर भेजा और उसके स्वभाव में बदलाव आया। आज वही राधिका मायके जाना तो दूर की बात है, फोन पर बात करने के लिए भी उसके पास वक्त नहीं है। वह अपनी गृहस्थी में व्यस्त हो गई है।”
दोस्तों, अगर सभी मांओं ने अपनी बेटियों को ऐसा समझाया और बेटियों ने इसे समझ लिया, तो किसी भी घर में झगड़ा नहीं होगा और कोई भी घर टूटेगा नहीं!
और हमें जरूर बताएं कि क्या उसे मां ने अपनी बेटी के साथ सही किया ?