“कहानी दो दिलों की: जब टेक्नोलॉजी नहीं थी, लेकिन सच्चा प्यार था”
“पुरानी यादों की मिठास: मोबाइल के बिना भी प्यार के सुंदर लम्हे”
“पुराने जमाने की प्रेम कहानी: मोबाइल के बिना भी हम दोनों थे”
पत्नी बोली, “ठीक 5 बजकर 55 मिनट पर मैं पानी का गिलास लेकर दरवाजे पर आती थी और आप पहुँचते थे। पति, मैंने 30 साल नौकरी की, पर आज तक समझ नहीं पाया कि मैं आता था इसलिए तुम पानी का गिलास लाती थी या तुम पानी का गिलास लेकर आती थी इसलिए मैं आता था।”
पत्नी हँसते हुए बोली, “याद है तुम्हारे रिटायर होने से पहले जब तुम्हें डायबिटीज नहीं थी और मैं तुम्हारी मनपसंद खीर बनाती थी? तब तुम कहते कि आज तो खीर खाने का मन हो रहा है और घर आकर देखते कि मैंने वही खीर बनाई है।”
पति ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, और जब पहली डिलीवरी के वक्त तुम मायके गई थी और जब दर्द शुरू हुआ, मुझे लगा काश तुम मेरे पास होती। और घंटे भर में तुम मेरे पास थी।”
पत्नी ने कहा, “हाँ, और जब तुम मेरी आँखों में आँखें डालकर कविता की दो लाइनें बोलते थे।”
पति, “हाँ, और तुम शर्माकर पलकें झुका देती थी और मैं उसे कविता की लाइक समझता था।”
पत्नी बोली, “और जब दोपहर को चाय बनाते वक्त मेरा हाथ थोड़ा जल गया था और शाम को तुम बर्नॉल की ट्यूब अपनी जेब से निकालकर बोले इसे अलमारी में रख दो।”
पति ने कहा, “हाँ, पिछले दिन ही मैंने देखा था कि ट्यूब खत्म हो गई है, पता नहीं कब जरूरत पड़ जाए, यही सोचकर मैं ट्यूब ले आया था।”
पत्नी, “तुम कहते थे आज ऑफिस के बाद तुम हमें सिनेमा दिखाने ले जाओगे और खाना भी बाहर खाएँगे।”
पति, “और जब तुम आती तो मैं सोचता था कि तुम वही साड़ी पहनकर आओगी जो मुझे पसंद है।”
पत्नी ने पति का हाथ थामकर कहा, “हाँ, हमारे जमाने में मोबाइल नहीं थे पर हम दोनों थे।”
पत्नी ने कहा, “आज बेटा और उसकी बहू साथ होते हैं पर बातें नहीं होतीं। व्हाट्सएप होता है, लगाव नहीं। टैग होता है, केमिस्ट्री नहीं। कमेंट होता है, लव नहीं। लाइक होता है, मीठी नोकझोंक नहीं। अनफ्रेंड होता है। उन्हें बच्चे नहीं, कैंडी क्रश सागा, टेंपल रन और सबवे सर्फर्स चाहिए।”
पति ने कहा, “छोड़िए सब बातें, हम अब वाइब्रेट मोड पर हैं और हमारी बैटरी भी एक लाइन पर है।”
पत्नी, “चाय बना दूँ?”
पति, “पता है, मैं अभी कवरेज क्षेत्र में हूँ और मैसेज भी आते हैं।” फिर दोनों हँस पड़े।
पति, “हाँ, हमारे जमाने में मोबाइल नहीं थे।”