15 नवंबर, शुक्रवार को कार्तिक मास की पूर्णिमा है, जिसे देव दिवाली और त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का अक्षय पुण्य मिलता है, जो जीवन भर के लिए शुभ फल प्रदान करता है।
त्रिपुरारी पूर्णिमा और देव दिवाली का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था, जिससे यह दिन त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में प्रसिद्ध है। एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कार्तिकेय ने इसी दिन स्वामी तारकासुर का वध किया था। इसी कारण भगवान शिव ने आठवें महीने का नाम ‘कार्तिक’ रखा, जो अब इस महीने की पहचान बन चुका है।
इस दिन किए जाने वाले महत्वपूर्ण कार्य
नदी स्नान और दान: कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है। यदि नदी में स्नान संभव न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इस दिन दान भी खास माना जाता है। श्रद्धालुओं को इस दिन दूध, फल, नारियल, कपड़े, चप्पल, कंबल आदि का दान करना चाहिए।
सूर्य और चंद्रमा को अर्घ्य: इस दिन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय विशेष पूजा की जाती है। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है। इसके लिए चांदी के लोटे में दूध भरकर “ॐ पुत्र सोमाय नमः” मंत्र का जाप करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
भगवान सत्यनारायण की कथा: इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने और सुनने की परंपरा है। यह पूजा परिवार में सुख-शांति बनाए रखने और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
हनुमानजी की पूजा: हनुमानजी की पूजा इस दिन विशेष रूप से की जाती है। दीपक जलाकर सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा राम नाम का जाप भी करें।
शिव पूजा: इस दिन शिवलिंग पर जल, कच्चा दूध, शहद, और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग पर चंदन का लेप भी लगाना शुभ होता है।
बाल गोपाल की पूजा: भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप ‘बाल गोपाल’ की पूजा भी इस दिन की जाती है। केसर मिश्रित दूध से उनका अभिषेक करें और तुलसी के साथ माखन-मिश्री का भोग अर्पित करें।
अन्य विशेष ध्यान
कार्तिक पूर्णिमा का पर्व विशेष रूप से सत्य और धर्म का पालन करने की प्रेरणा देता है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्य जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाते हैं। यह पर्व परिवार और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, और सभी को एकजुट कर धर्म और आस्था की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
कार्तिक पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर किए गए पूजा-अर्चना और पुण्य कार्य न केवल आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को प्रशस्त करते हैं, बल्कि जीवन में स्थिरता और संतुलन भी लाते हैं।