एक आदमी ऑफिस से घर आया तो उसकी पत्नी ने कहा, “आज मेरे सिर में दर्द है, मैं खाना नहीं बनाऊंगी। आज हम बाहर खाना खाने जाएंगे।” वह आदमी बहुत थका हुआ था, लेकिन अपनी पत्नी को नाराज़ नहीं करना चाहता था, इसलिए उसने कहा, “ठीक है, चले जाएंगे। तुम तैयार हो जाओ।”
तुरंत ही पत्नी ने फरमान जारी कर दिया, “आज हम किसी बड़े होटल में खाना खाएंगे।” पति ने पत्नी को समझाते हुए कहा, “यह महीने का आखिरी हफ्ता चल रहा है, इसलिए मेरी जेब टाइट है। आज हम छोटे होटल में ही खाना खा लेते हैं, बड़े होटल में किसी और दिन चलेंगे।”
लेकिन पत्नी ने जिद पकड़ ली, वह किसी 5-स्टार होटल में खाना खाना चाहती थी। पति का दिल तो नहीं कर रहा था, लेकिन वह कई दिनों से टालमटोल कर रहा था, इसलिए अपनी पत्नी की खुशी के लिए वह तैयार हो गया। रास्ते में पति को एक युक्ति सूझी। उसने अपनी पत्नी से कहा, “तुम्हें पता है, जब मैं और मेरी बहन गोलगप्पे खाने की प्रतियोगिता करते थे, तो हमेशा मैं ही जीतता था। मुझे गोलगप्पे खाने में कोई हरा नहीं सकता। मैं एक बार में 20 से 25 गोलगप्पे आराम से खा सकता हूँ।”
इस पर पत्नी ने कहा, “यह क्या बड़ी बात है! मैं तो तुमसे ज्यादा गोलगप्पे खा सकती हूँ और इस प्रतियोगिता में तुम्हें हरा भी सकती हूँ। गोलगप्पे खाने में लड़कियों का कोई हाथ पकड़ नहीं सकता।”
पति ने कहा, “ऐसा नहीं हो सकता, मुझे गोलगप्पे खाने के मुकाबले में कोई हरा नहीं सकता।” इस पर पत्नी ने फौरन कहा, “चलो, आज यह मुकाबला हो ही जाए और आज तो मैं आपको पक्का हराकर ही रहूंगी।”
थोड़ी देर बाद पति-पत्नी गोलगप्पे के ठेले पर पहुँचे। 25 गोलगप्पे खाने के बाद पति कहता है, “बस, मुझसे अब और नहीं खाया जाएगा।” पत्नी खुश होते हुए अपना 26वां गोलगप्पा खाती है और कहती है, “आज मैंने इस प्रतियोगिता में आपको हरा ही दिया, मैंने आपसे एक गोलगप्पा ज्यादा खा लिया।”
पति मुस्कुराते हुए कहता है, “चलो, तुम जीत गई, मैं हार मानता हूँ। अब हम खाने के लिए होटल चलते हैं।” पत्नी ने कहा, “मेरा पेट पूरी तरह से भर गया है, अब मैं और कुछ नहीं खा सकती। इसलिए अब हम घर चलेंगे, होटल किसी और दिन चलेंगे।”
पति मन ही मन मुस्कुराते हुए घर की ओर चल देता है। पत्नी सोच रही होती है कि उसने प्रतियोगिता जीत ली है, जबकि वास्तव में जीत पति की हुई थी क्योंकि वह अपनी योजना में सफल हो गया।