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Identifying true relationships: A sensitive story
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सच्चे रिश्तों की पहचान: एक संवेदनशील कहानी

आर्यन की आवाज़ से प्रीति की चिंताओं का कारण साफ था। संजयजी, उनके परिवार का अभिन्न हिस्सा, आज सुबह तक न उठे थे। प्रीति ने घबराहट में रोटियाँ बेलनी छोड़ दीं, सब्जी की गैस बंद कर दी, और जल्दी से संजयजी के कमरे की ओर दौड़ पड़ी। आर्यन की आवाज़ सुनकर प्रीति का दिल बेताब हो गया, और उसने डॉक्टर को फोन किया।

डॉक्टर ने संजयजी की जांच की और सच्चाई बताई: “सुबह-सुबह ही डेथ हुई है इनकी। बीपी ही इनपर भारी गुजरा।”

प्रीति की आँखों में आँसू थे, और उसने खुद को संभालते हुए कहा, “डॉक्टर साहब, मेरा नाम साक्षी नहीं, प्रीति है। पिछले दस सालों से मैं संजयजी के लिए साक्षी बनी हुई थी।”

डॉक्टर ने चौंकते हुए पूछा, “क्या मतलब?”

प्रीति ने अपनी कहानी सुनानी शुरू की:

“करीब दस साल पहले, मैं सब्जी मार्केट गई थी। जब मैं मार्केट से बाहर आई और रिक्शे की तलाश में थी, तब एक बुजुर्गवार ने मुझे पुकारा और अपनी परेशानी बताई। उन्होंने मुझे अपना घर ढूंढने में मदद मांगी। मैंने सोचा कि उन्हें घर ले जाकर, कुछ खिलाकर और एड्रेस पूछकर छोड़ दूँगी। लेकिन जब हम घर पहुंचे, तो बुजुर्गवार ने कहा कि यही उनका घर है।”

“वो मेरे घर में ही रुक गए और अपनी आदतें, फरमाइशें और अपनापन दिखाने लगे। हमने उन्हें छोड़ने का सोचा, लेकिन एक हफ्ते के बाद भी उनका कोई पता नहीं चला। हमें उनके साथ अच्छा लगने लगा। हमने निर्णय लिया कि उन्हें कहीं नहीं भेजेंगे, अपने घर में ही रखेंगे। बस तभी से वे हमारे संजयजी बन गए।”

“दस साल हो गए, मैंने अपने नाम की तरह साक्षी का नाम भी अपनाया, और आज संजयजी के साथ मेरा यह नाम भी समाप्त हो गया।”

डॉक्टर की आँखें नम हो गईं। उन्होंने कहा, “इतने सालों में मुझे ज़रा भी महसूस नहीं हुआ कि ये तुम्हारे पिता नहीं बल्कि कोई गैर हैं। सच कहूँ तो अल्जाइमर एक गंभीर रोग है और वृद्धाश्रमों की भीड़ समाज के बदलते स्वरूप को दिखाती है। लेकिन आप जैसे लोग इस समाज में आशा की किरण हैं।”

डॉक्टर ने आर्यन और प्रीति को सांत्वना दी और संजयजी का डेथ सर्टिफिकेट सौंपा। उन्होंने अंतिम बार घर के मुख्यद्वार की ओर देखा, और भावुकता से भरपूर भावनाओं के साथ चले गए।

इस कहानी ने हमें यह सिखाया कि रिश्तों की पहचान रक्त के बंधनों से नहीं, बल्कि सच्चे प्यार और समर्पण से होती है। प्रीति और आर्यन का संजयजी के प्रति समर्पण और उनकी देखभाल ने यह साबित कर दिया कि रिश्ते और अपनापन किसी भी रूप में हो सकते हैं, और वे सबसे महत्वपूर्ण हैं।

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