आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने अपनी सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में सौर ऊर्जा खरीद समझौतों में कोई अनियमितता नहीं हुई। यह बयान उन्होंने उस समय दिया जब गौतम अडानी और उनके समूह पर अमेरिका में दायर एक अभियोग के बाद उन पर भी रिश्वतखोरी के आरोप लगाए गए थे।
टीडीपी के आरोपों पर सफाई
हाल ही में टीडीपी के मंत्रियों ने वाईएसआरसीपी सरकार पर बिजली खरीद समझौतों में रिश्वतखोरी का आरोप लगाया था। इसके जवाब में, जगन मोहन रेड्डी ने गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, “बिजली खरीद का समझौता आंध्र प्रदेश की डिस्कॉम और सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के बीच हुआ था, इसमें किसी बाहरी एजेंसी या निजी कंपनी का कोई रोल नहीं था।”
अमेरिकी अदालत में दायर अभियोग का खंडन
अदालत में दायर अभियोग में दावा किया गया था कि अडानी ने आंध्र प्रदेश के अधिकारियों से मुलाकात की और सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए सरकारी समझौतों को आगे बढ़ाने में मदद ली। हालांकि, जगन ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने पूरी पारदर्शिता के साथ काम किया था।
अदालती आरोपों का खंडन
अदालत में दायर अभियोग में कहा गया है कि अडानी ने 2019 और 2024 के बीच आंध्र प्रदेश के एक उच्च पदस्थ अधिकारी से मुलाकात की थी और सौर ऊर्जा समझौतों के लिए अधिकारियों से बातचीत की थी। हालांकि, इन आरोपों में उस अधिकारी का नाम नहीं लिया गया, लेकिन इसे लेकर राजनीतिक हलकों में अब भी बहस जारी है।
सौर ऊर्जा खरीद में सुधार की बात
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उनकी सरकार ने सत्ता संभाली, तब राज्य में बिजली खरीद की दर लगभग 5.10 रुपये प्रति किलोवाट घंटा थी, जिसे उन्होंने कम करके 2.49 रुपये प्रति किलोवाट घंटा कर दिया। इस बदलाव से राज्य को बड़ी बचत हुई और सौर ऊर्जा खरीद को और अधिक किफायती बनाया गया।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर
आंध्र प्रदेश में यह मामला अब एक राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है। विपक्षी दल इस मुद्दे को भुना रहे हैं, जबकि राज्य सरकार ने लगातार इसे पूरी तरह से गलत और राजनीतिक साजिश बताया है। जगन मोहन रेड्डी ने आरोप लगाया कि विपक्षी दल उनके खिलाफ झूठी और बेबुनियाद अफवाहें फैला रहे हैं।
पुलिस और अदालत की जांच जारी
यह मामला अब भी जांच के दायरे में है, और आने वाले समय में इसके और पहलुओं का खुलासा होने की संभावना है। पुलिस और अदालत की जांच में यह भी स्पष्ट होगा कि क्या इस पूरे मामले में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी या अनियमितता हुई है।