दीपाली कॉलेज कैंपस में बैठी थी। जब उसके क्लास पूरे हुए तो वह अपनी सहेली के साथ बातें कर रही थी। उसे रास्ते से जाते समय माया दिखी। माया को आवाज दी। माया इधर आओ, दीपाली की आवाज सुनते ही माया दीपाली के पास गई। दोनों बातें करने लगी !
बातचीत के दौरान अचानक दीपाली को याद आया कि उसने सुना है कि रचना ने आत्महत्या कर ली है! इस बारे में माया से जानना चाहा, रचना, दीपाली और माया दोनों की यह बचपन की सहेली थी। माया और रचना दोनों एक-दूसरे की पड़ोसी थीं। दीपाली दूसरे गांव में रहती थी।
भले ही रचना की तीन बार शादी की गई लेकिन उसने आत्महत्या क्यों की? ऐसा सवाल दीपाली के मन में आया। दरअसल वह अपनी प्यारी सहेली की आत्महत्या से बेहद #दुखी थी। रचना नौवीं कक्षा में थी, तभी उसकी पहली शादी हुई थी। रचना देखने में बहुत सुंदर थी। वह होशियार, शालीन और भविष्य के सपनों में रंगने वाली लड़की थी। उसने अपने जीवन में कई सपनों को चित्रित किया था। पर घर के लोगों ने उसकी जबरदस्ती से शादी करवा दी।
#दीपाली के पास इतने सारे सवाल थे कि वह नहीं जानती थी कि माया से कैसे पूछे? लेकिन हर बात की सच्चाई जानना चाहती थी। और आखिर में माया से पूछा कि रचना ने आत्महत्या क्यों की?
एक क्षण के लिए माया चुप हो गई। जल्दी से उसके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे। उसने गहरी सांस ली और बोलना शुरू किया…
3 साल पहले रचना की शादी विक्रम नाम के शख्स से हुई थी। वास्तव में उसकी बहुत अच्छी गृहस्थी चल रही थी। दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे थे। जब भी यह दोनों साथ में बाहर जाते तो सभी कपल्स इनसे जलते थे।
विक्रम और उसके #परिवार के सभी सदस्य अच्छे स्वभाव के थे। जैसा उसने सपनों में जोड़ीदार सोचा था, वैसा ही उसे अपना पार्टनर मिला था। उसके घर की स्थिति मध्यम थी। विक्रम का एक छोटा सा होटल था, जिसमें से उसके सारे खर्चे बांट देने के बाद कुछ पैसे बच जाते थे। घर की हालत बहुत साफ-सुथरी थी। एक दिन वह होटल से घर बाइक पर आ रहा था। एक बड़ी कार से उसका बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो गया! और इस हादसे में उसे काफी चोटें आईं। हादसे के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन सिर में गंभीर चोट लगने के कारण इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। रचना को बहुत दुख हुआ, लेकिन उसके ससुराल वालों को गलतफहमी थी कि विक्रम की दुर्घटना रचना की वजह से हुई, वह अपशकुनी है। ऐसा उनको लगता था।
उनमें से कोई भी उसे समझ नहीं पाया। विक्रम के जाने के बाद कुछ दिनों के भीतर ही रचना को घर से निकाल दिया गया! उसे घर से बाहर निकालने के बाद वह #मायके गई और कुछ दिन मायके में ही रही। लेकिन आसपास पड़ोसियों में चर्चा हो गई तो उसके माता-पिता फिर से उसके लिए रिश्ता ढूंढने लग गए।
जब वह बाहर निकलती थी तो लोग हमेशा उसे ताने मारते थे। इस वजह से सभी बहुत परेशान हुए। ऐसे में उन्होंने जल्दी-जल्दी में समीर से शादी करवा दी।
समीर बहुत बुरा आदमी था। दारू पीता था, कुछ काम धंधा नहीं करता, चोरी करता, मारपीट करता, उसका रोजाना यही काम था। इस सब से रचना को बहुत दुख होता था, पर वह कुछ नहीं कर सकती थी। एक बार एक रात को वह देर से घर आया और जल्दी-जल्दी में घर में कुछ ढूंढने लगा। रचना ने उसे पूछा, पर उसने कुछ भी नहीं बोला। उसे जो चीज चाहिए थी, वह उसे मिली नहीं, इस वजह से वह वहां से बाहर चला गया। रचना रात भर उसकी राह देखती रही, पर वह आया ही नहीं! दूसरे दिन पुलिस को उसका मृतदेह रास्ते के किनारे पड़ा हुआ मिला।
उसका चाकू से किसी ने खून किया था। यह खबर रचना को पता चली तो उस पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा। कुछ दिनों तक वह अपनी ससुराल में रही, लेकिन बाद में ससुराल वालों ने उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इस वजह से रचना वापस मायके आ गई। घर आकर कुछ दिन ऐसे ही बीत गए। हर दिन आ रहा था और जा रहा था, लेकिन रचना की स्थिति वही थी। उसकी तरफ देखा नहीं जा रहा था। उसका परिवार उसकी स्थिति को सहन नहीं कर सका। इसलिए उन्होंने उसकी वापस शादी करने का फैसला किया!
उसके लिए रिश्ता ढूंढने लगे, उनके रिश्तेदारों में यश नाम का लड़का था। उसकी पहले से ही एक बार शादी हो चुकी थी, और यश से रचना की शादी करवा दी। रचना बहुत खुश थी। शादी हुई और कुछ महीनों बाद उसे मालूम हुआ कि यश को कैंसर है, ब्लड कैंसर! इस बात का पता चलते ही उसके हंसते हुए चेहरे पर फिर से दुखी हो गया। लेकिन उसने हिम्मत से इन सबका सामना करने का फैसला किया।
5 महीने तक अपने #पति की सेवा की, लेकिन आखिरकार 5 महीने बाद उसके पति की मौत हो गई। इस दुख से बहुत तंग आ चुकी थी। कुछ दिन बीत गए, लेकिन बाद में ससुराल वालों ने उसकी जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया! उसे घर से निकाल दिया। उसके बाद वह फिर मायके चली गई, लेकिन उसके माता-पिता और उसके भाई भाभी ने भी उसे घर में आने नहीं दिया!
सभी तरफ से रास्ते बंद हो चुके थे उसके लिए। उसे उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही थी। अंत में उसने खुद को खत्म करने का फैसला किया। उसका जीवन समाप्त कर दिया। रचना की यह #कहानी सुनकर दीपाली की आंखें आंसुओं से भरकर बह रही थीं। पूरा दिन वह रचना के बारे में सोचती रही, “क्या इन तीनों घटनाओं में बेचारी रचना का कोई भी दोष था? क्या उसके मां-बाप को सिर्फ उसकी शादी कर उसे हर बार किसी के पास भेज देना सही था? वे उसे अपने पैरों पर खड़ा करने की कोशिश भी कर सकते थे। सच कहूं तो रचना की जान उसकी बदनसीबी ने नहीं, उसके परिवार और उसके आसपास के लोगों की छोटी सोच ने ली है! वो बेचारी मनहूस नहीं, बदनसीब थी क्योंकि उसके आसपास ऐसी सोच रखने वाले लोग थे।”