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सास-बहू के रिश्ते में सम्मान की कमी की मार्मिक कहानी
वर्ल्ड

तुम्हारी मां ने तुम्हें सिखाया नहीं कि सास से कैसे बात की जाती है?”

बहू, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अपनी मां-समान सास को मना करने की? तुम्हारी मां ने तुम्हें सिखाया नहीं कि सास से कैसे बात की जाती है?” 

अपने ससुर की बात सुनकर रानी के आंसू छलक आए। वह सोचने लगी कि क्या इसी शख्स को मैंने अपने पापा के बराबर मान और सम्मान दिया है? इन्होंने तो अपने को पत्नी प्रिय बने रहने के लिए अपनी बहू की इज्जत की सरेआम धज्जियां उड़ा दीं। अब मैं इन्हें पिता कैसे मान सकती हूं?

रानी कमरे में बैठी रो रही थी। “क्या हुआ, रो क्यों रही हो?” रितेश ने पूछा। “आप मुह हाथ धोकर खाने की टेबल पर आइए। मैं सबका खाना लगाती हूं,” उसने कहा। रानी ने रितेश की बात का कोई जवाब दिए बिना रसोईघर में जाकर रोटियां सेकने लगी।

खाने की टेबल पर सबके तने चेहरों ने रितेश को परेशान कर दिया। वह अच्छी तरह से समझता था कि इन तने चेहरों के पीछे की कहानी क्या है। रानी गरम-गरम रोटियां लाकर सबकी थालियों में रख रही थी। उसकी सास, गायत्री देवी ने रोटी खाते हुए कहा, “रितेश, अब मुझे जल्दी ही नकली दांत लगवाने पड़ेंगे।”

रितेश ने जान लिया कि यह तो बात शुरू करने की भूमिका मात्र है। असली मुद्दा किसी ना किसी शिकायत के रूप में सामने आएगा। वह इस रोज की चिकचिक से उकता गया था, इसलिए उसने गायत्री देवी की बात को अनसुना कर दिया और अपने कमरे की ओर बढ़ा। उसकी बेरुखी से तिलमिलाए हुए उसके पिताजी बोले, “पहले तो बहू ही हमें देखकर अनदेखा करती थी, अब बेटा भी उसके रंग में रंग गया है। चलो, भगवान अपना बोरिया-बिस्तर बांधो, अब यहां रहना संभव नहीं है।”

“हुआ क्या है? पहले तो बताइए,” रितेश ने बेमन से पूछा।

“वही रोज का झगड़ा। तुम्हारी मां ने रानी से चाय बनाने के लिए कहा, तो बहू ने मना कर दिया। नहीं, रितेश, मैंने मना नहीं किया था। सिर्फ इतना कहा था कि अभी थोड़ी देर रुक जाइए। बिट्टू की स्कूल बस आने वाली है। उसे बस में बैठाकर आती हूं, फिर चाय बना दूंगी।”

“पापा जी, इसमें रानी की कोई गलती नहीं है। मां चाय खुद भी बना सकती थी या थोड़ी देर रुक भी सकती थी,” रितेश ने कहा।

“रितेश, पर मां तो गुस्से से बिफर गईं। उन्हें गुस्से में देखकर पापा जी बोलने लगे कि मुझे इस तरह तुम्हारा अपनी सास को जवाब देना बिल्कुल पसंद नहीं है,” रितेश ने कहा।

“बताइए, मैंने गलत क्या कहा?”

“तुमने कुछ गलत नहीं किया, रानी। अगर मां को अपनी इज्जत की परवाह नहीं है, तो छोटे क्या करें? चलो, आराम करो। दिन भर काम करते-करते थक गई होगी।” 

रानी और रितेश की बातें सुनकर उसके पापा-मम्मी चुपचाप अंदर चले गए।

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