उम्मीद पर दुनिया कायम है। 1950 के दशक में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के कुछ वैज्ञानिकों ने चूहों पर एक बहुत ही दिलचस्प प्रयोग किया। उन्होंने चूहों को पानी में छोड़ दिया और उन पर नजर रखी कि वे कितनी देर तक पानी के खिलाफ लड़ते हैं और अपनी जान बचाने की कोशिश करते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि चूहे लगभग 15 मिनट तक हार नहीं मानते, फिर उसके बाद वे थककर तैरना बंद कर देते हैं, मानो जैसे अब उनमें जीने की इच्छा समाप्त हो गई हो और उन्होंने उम्मीद छोड़ दी हो।
जैसे ही चूहों ने हार मान ली, वैज्ञानिकों ने उन्हें पानी से निकाला और कुछ मिनट तक आराम करने दिया। फिर उन्हें दोबारा पानी में छोड़ दिया। अब आप सोच सकते हैं कि पहले से थके हुए चूहे अब कितनी देर तक पानी में जान बचाने की फिर से कोशिश कर सकते हैं। आप कहेंगे 5 मिनट, 10 मिनट या फिर ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट। लेकिन आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि वे पूरे 60 घंटे तक कोशिश करते रहे। जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना, मैं 6 घंटे नहीं बल्कि 60 घंटे कह रहा हूं।
इस बात को जरा ध्यान से समझिए कि अगर एक छोटी सी उम्मीद के साथ चूहे इतना चमत्कारी काम कर सकते हैं, तो सोचिए अगर आपको अपने आप पर भरोसा हो जाए और आप अपने आप से अच्छी उम्मीद बना लें, तो आप जीवन में क्या कुछ नहीं कर सकते, क्या कुछ हासिल नहीं कर सकते। इस प्रयोग ने साबित कर दिया कि जब चूहों के पास यह उम्मीद नहीं थी कि अगर कोई उन्हें बचा सकता है, तो वे सिर्फ 15 मिनट में ही हार मानने को तैयार थे। लेकिन जब चूहों को यह उम्मीद बना दी गई कि उन्हें बचाने के लिए कोई आएगा, तो उन्होंने इतने लंबे समय तक हार नहीं मानी।