यह कहानी शुरू होती है एक प्लेन से जिसमें नंदू और पप्पू लाल एक साथ किसी देश में जाने के लिए प्रवास कर रहे थे। सफर काफी लंबा था और प्लेन में करने के लिए ज्यादा कुछ था भी नहीं। नंदू तो ठहरे परिपक्व और शांत स्वभाव के, अपने ध्यान में मस्त थे। मगर बड़ी चंचल प्रवृत्ति के पप्पू लाल अपनी बोरियत से जूझ रहे थे।
ऐसे में पप्पू लाल ने टाइम पास करने के लिए एक तरीका सोचा। उन्हें लगता था कि वह एडवांस और विकसित देश के प्रधानमंत्री हैं, जहां पर आए दिन नई-नई वैज्ञानिक खोजें होती रहती हैं, और वह भी तो कुछ कम बुद्धिशाली नहीं हैं। उनके ज्ञान के सामने नंदू कितना जानते होंगे? क्यों ना इसी बात का फायदा उठाते हुए नंदू को थोड़ा नीचा दिखाया जाए?
ऐसा सोचकर पप्पू लाल ने नंदू से कहा, “नंदू, एक गेम खेलते हैं। हम एक-दूसरे को सवाल पूछेंगे। क्योंकि हमारा देश आपके देश से ज्यादा अमीर है और बुद्धिमान भी, तो अगर मैं आपके किसी सवाल का जवाब नहीं दे पाया तो मैं आपको एक मिलियन डॉलर्स दूंगा। मगर अगर आप मेरे किसी सवाल का जवाब नहीं दे पाए, तो आपको बस ₹500 देने होंगे!”
नंदू उनकी बात सुनकर मुस्कुरा उठे और बोले, “चलो पहला सवाल तुम पूछो।”
पप्पू लाल ने पूछा, “बताओ, आकाश की सबसे बड़ी गैलेक्सी का नाम क्या है?”
नंदू ने थोड़ा सोचा और फिर जेब से ₹500 निकालकर पप्पू लाल को दे दिए और बोले, “मुझे नहीं पता।”
“IC 1101, यह नाम है यूनिवर्स की सबसे बड़ी गैलेक्सी का,” पप्पू लाल ने कहा। “अब तुम्हारी बारी है सवाल पूछने की।”
नंदू ने सवाल पूछा, “बताओ, दुनिया में ऐसा कौन सा प्राणी है जो एवरेस्ट पर चार पैरों के साथ चढ़ता है मगर तीन पैरों पर वापस लौटता है?”
पप्पू लाल काफी समय तक सोचते रहे, मगर उन्हें कुछ भी सूझ नहीं रहा था। उन्होंने अपने स्टाफ से पूछा, वैज्ञानिकों को फोन किया, मगर किसी के पास इसका जवाब नहीं था। आखिरकार, पप्पू लाल ने नंदू के अकाउंट में एक मिलियन डॉलर ट्रांसफर कर दिए और मिन्नतें करने लगे, “अब तो बता दो इसका सही जवाब क्या है?”
नंदू ने बड़े ही शांति से अपने जेब से ₹500 निकाले और पप्पू लाल के हाथों में रख दिए, और बोले, “इसका जवाब तो मुझे भी नहीं पता।”
पप्पू लाल ने चौंकते हुए पूछा, “तो फिर आपने सवाल क्यों पूछा?”
नंदू मुस्कुराते हुए बोले, “क्योंकि गेम के अंत में मैं हमेशा कुछ न कुछ सिखाना चाहता हूं।”