यह दृश्य एक मधुर और भावनात्मक पल को दर्शाता है। यहाँ पर एक बालिका द्वार पर खड़ी है और अपनी उदासी के कारण पुरुषों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। जब वह किसी का ध्यान नहीं खींच पाती, तो उसकी निराशा बढ़ जाती है।
तब एक सुंदर युवक की नजर बालिका पर पड़ती है, और वह उसकी आँखों में छिपी उदासी और करुणा को समझ जाता है। युवक को देखकर बालिका की आँखों में एक नई आशा जागृत होती है। जब युवक ने पूछा कि वह क्यों रो रही है, तो बालिका ने अपने हाथ में बंधी राखी को दिखाया। युवक तुरंत समझ गया कि यह राखी है और उसने मुस्कुराते हुए बालिका के हाथ में राखी बंधवा दी।
राखी बंधवाने के बाद, युवक ने बालिका को पैसे देने का प्रयास किया, लेकिन बालिका ने पैसे स्वीकार नहीं किए। उसने स्पष्ट रूप से पैसे की मांग की, जिससे युवक को उसकी स्थिति की गंभीरता का आभास हुआ। युवक ने पहले चार आने और फिर रुपये देकर उसे स्नेहपूर्वक पैसे स्वीकार करने पर मजबूर किया।
बालिका ने अंत में युवक को धन्यवाद कहा और घर की ओर लौट गई। इस घटना में, युवक का स्नेह और बालिका की जिद्द एक मानवता और संवेदनशीलता की सुन्दर छवि प्रस्तुत करती है।
