केंद्रीय कैबिनेट ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल को मंजूरी दे दी है, जिससे गुजरात में विधानसभा चुनावों के समय में बदलाव की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, यह बिल अगले हफ्ते संसद में पेश किया जा सकता है। इसके साथ ही सरकार सभी राजनीतिक दलों से सहमति बनाने के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की योजना बना रही है। यदि सब कुछ ठीक रहा, तो गुजरात में विधानसभा चुनाव जल्द हो सकते हैं।
क्या है ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’?
‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का उद्देश्य देशभर में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करना है। इसका फायदा यह होगा कि चुनावी खर्च में कमी आएगी और चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकेगा। पहले यह प्रणाली 1952 से 1967 तक लागू थी, लेकिन उसके बाद चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे थे।
कैबिनेट की मंजूरी और आगे की प्रक्रिया
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे। इसके बाद, स्थानीय निकाय चुनाव भी जल्द बाद में आयोजित किए जा सकते हैं। इस योजना को लागू करने के लिए कई राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल छोटा किया जाएगा और जिन राज्यों में 2023 के अंत तक चुनाव होने हैं, उनके कार्यकाल में बढ़ोतरी की जा सकती है।
कोविंद पैनल की सिफारिशें
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बने पैनल ने 2023 में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी। इस पैनल ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लागू करने के लिए कई सिफारिशें की हैं, जिनमें सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाना, एक साझा मतदाता सूची बनाना और सुरक्षा बलों की पूर्व-योजना तैयार करना शामिल है।
गुजरात चुनाव पर असर
गुजरात में यदि यह बिल संसद में पारित हो जाता है, तो राज्य के चुनाव जल्दी हो सकते हैं। ऐसे में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो सकती हैं और अगले कुछ महीनों में चुनावी माहौल बदल सकता है।
आखिरकार, 2029 तक लागू हो सकता है ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’
अगर सभी राजनीतिक दल इस प्रस्ताव पर सहमत होते हैं, तो इसे 2029 तक लागू किया जा सकता है। इससे पहले कुछ राज्यों के चुनावों को समायोजित करने के लिए उनके कार्यकाल को बदलने की जरूरत पड़ेगी।