यह कहानी एक बूढ़े आदमी की है जो बहुत ही अच्छी मूर्तियाँ बनाता था। एक बार वह अपने गाँव के लिए जंगल से जा रहा था, तभी उसे एक बहुत बड़ा पत्थर दिखाई देता है। वह सोचता है कि इस पत्थर से एक बहुत ही सुंदर मूर्ति बनाई जा सकती है। वह अपने औजार निकालकर उस पत्थर को तराशना शुरू करता है। जैसे ही वह पत्थर पर छेनी और हथौड़ी से मारता है, पत्थर से आवाज आती है, “मुझे मत मारो, मुझे तकलीफ हो रही है, दर्द हो रहा है।”
यह सुनकर बूढ़ा आदमी डर जाता है और अपने औजार उठाकर वहाँ से चला जाता है। थोड़ी देर आगे चलने के बाद उसे एक और बड़ा पत्थर दिखाई देता है। वह सोचता है कि इस पत्थर से भी बहुत खूबसूरत मूर्ति बनाई जा सकती है। वह अपने औजार निकालकर उस पत्थर को तराशना शुरू करता है। इस बार भी पत्थर को दर्द हो रहा था, लेकिन वह पत्थर कुछ नहीं बोलता, चुपचाप सहता रहता है। बूढ़ा आदमी धैर्यपूर्वक काम करता है और कुछ देर बाद एक बहुत ही सुंदर भगवान की मूर्ति बना देता है। वह मूर्ति इतनी अच्छी लगती है कि बूढ़ा आदमी उसे एक पेड़ के नीचे रख देता है और आगे बढ़ जाता है।
जब वह अपने गाँव पहुँचता है, तो उसे पता चलता है कि गाँव में एक नया मंदिर बन रहा है, जिसमें भगवान की मूर्ति की जरूरत है। कुछ लोग बूढ़े आदमी के पास आते हैं और उससे कहते हैं, “तुम बहुत अच्छी मूर्तियाँ बनाते हो, हमें भी भगवान की एक मूर्ति बना दो।” बूढ़ा आदमी कहता है, “मूर्ति बनाने की जरूरत नहीं है। अभी मैं जंगल से आ रहा था, वहाँ मैंने एक बहुत ही खूबसूरत भगवान की मूर्ति बनाई है। तुम उस रास्ते से जाओ, तुम्हें एक पेड़ के नीचे वह मूर्ति मिल जाएगी, उसे लाकर मंदिर में स्थापित कर दो।”
कुछ लोग उस जगह पर जाते हैं और उन्हें वह मूर्ति पेड़ के नीचे मिल जाती है। वे उसे लाकर मंदिर में स्थापित कर देते हैं। लेकिन अब लोग कहते हैं, “मूर्ति तो आ गई, लेकिन नारियल फोड़ने के लिए एक बड़ा पत्थर चाहिए, जो हमारे गाँव में नहीं है।” बूढ़ा आदमी कहता है, “तुम जिस रास्ते से मूर्ति लाए थे, उसी रास्ते से थोड़ा और आगे जाओ, वहाँ तुम्हें एक बड़ा पत्थर मिलेगा। उसे लाकर नारियल फोड़ने के लिए रख सकते हो।”
लोग वही करते हैं और उस पत्थर को मंदिर में लाकर मूर्ति के पास रख देते हैं। अब लोग भगवान वाली मूर्ति की पूजा करते हैं और उस साइड वाले पत्थर पर नारियल फोड़ते हैं।
एक दिन रात के समय दोनों पत्थर आपस में बात करते हैं। जिस पत्थर पर नारियल फोड़े जा रहे थे, वह भगवान वाली मूर्ति से कहता है, “तुम्हारी जिंदगी कितनी अच्छी है, लोग तुम्हारी पूजा करते हैं, तुम्हें हार पहनाते हैं, तुम्हारे सामने प्रसाद चढ़ाते हैं। मुझे देखो, लोग मुझ पर नारियल फोड़ते हैं और मेरा सिर पटकते हैं।”
भगवान वाली मूर्ति मुस्कुराकर कहती है, “अगर तुमने उस समय की तकलीफ सहन कर ली होती, तो आज मेरी जगह तुम होते और तुम्हारी जगह मैं। इसी तरह, जिंदगी में भी तकलीफें और परेशानियाँ आती हैं, लेकिन जो इंसान उनसे लड़ना सीख लेता है, वही जिंदगी में आगे बढ़ता है।”