हमारी ज़िन्दगी में ऐसी कई बातें होती हैं जिनके कारण हम वर्तमान को छोड़कर अपने ध्यान को कुछ और ही लगा देते हैं।
मेरी ज़िन्दगी में भी ऐसा ही कुछ हुआ। मेरे मायके में पिछले कुछ सालों से बहुत विवाद चल रहा था। मैं नहीं चाहती थी कि इसकी भनक या इस झमेले में वो पड़ें, इसलिए मैंने उनसे यह बात छुपाई और अपने तरीके से उसे हल करने में लगी रही।
पर मुझे नहीं पता था कि यह सब इस तरह से मेरे जीवन में और अधिक परेशानियाँ लेकर आ जाएगा।
मैंने कई बातें थी जो उनसे छुपा रखी थी। इस कारण उन्हें क्या-क्या लगने लगा और वो न जाने कब मन ही मन मुझसे अलग होने लगे।
शादी के इतने सालों बाद हमें लगता था कि सब सही चल रहा है। लेकिन यह सब कैसे हुआ, मुझे पता भी नहीं चला। कभी भी हमारे बीच इस तरह की कोई बात नहीं होती थी, वे मुझसे ज्यादा कुछ पूछते नहीं थे।
उनका स्वभाव ही कुछ इस तरह का था। या शायद मैं ही अपनी परेशानियों के चलते वो नहीं देख पाई जो मेरे जीवन में आने वाला था।
जब मेरी आँख से वो पर्दा हटा और मैंने देखा, तो मुझे समझ आ गया कि मुझसे क्या गलती हो गई है। मुझे इस बात का अहसास हो गया था।
मैंने उस गलती को ठीक करना चाहा, लेकिन तब तक शायद देर हो चुकी थी। उन्होंने एक शाम उनके फैसले के बारे में मुझे बता दिया। उन्होंने कहा कि मुझे तुमसे ज्यादा कुछ नहीं बोलना है, ना जानना है।
मैं बस तुमसे तलाक चाहती हूँ। मेरी ज़िन्दगी में कोई और है और मैं अब उसी के साथ रहना चाहती हूँ। और मेरा फैसला नहीं बदलेगा, चाहो तुम कुछ भी कहो।
यह सुनकर जैसे मेरे पैरों तले ज़मीन ही निकल गई। मुझे पता भी नहीं चला कि कब मैं उनसे इतनी दूर हो गई और कब उनकी ज़िन्दगी में कोई और भी आ गई।
इतना तो मैं जानती थी कि वे एक बार सोच लेते हैं, वे फिर करते हैं। मैंने उस समय अपने आप को कंट्रोल किया। मैं उनसे बैठ कर बात करना चाहती थी।
उनसे सवाल-जवाब करना चाहती थी। अगर अब मुझसे प्यार नहीं करते तो मुझे उनके जीवन से चले ही जाना चाहिए, मुझे यही लग रहा था, क्योंकि उन्होंने मुझे साफ-साफ कह दिया था।
कभी मैं क्या विचार करती, कभी क्या। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर में क्या करूँ। कुछ दिनों तक हम लोग इस घर में ऐसे रह रहे थे जैसे अजनबी इंसान हों। हमारे बीच किसी तरह की कोई बात नहीं होती थी।
मैं खुद को और उन्हें कुछ समय देना चाहती थी। मुझे एक मन ऐसा कर रहा था कि वे अगर किसी और से प्यार करने लगे हैं, तो मुझे उनके साथ नहीं रहना चाहिए, उन पर गुस्सा भी आ रहा था।
पर मैं अपने रिश्ते को और कुछ समय देना चाहती थी। आखिर गलती मेरी भी थी, मैंने भी उन्हें नजरअंदाज़ कर रखा था।
इसी दौरान करीब 2 महीने बाद उन्होंने तलाक के पेपर रेडी करवा लिए और मेरे सामने रख दिए। कहा इस पर साइन कर दो।
मैंने फिर भी उनसे बात करना चाहा, लेकिन वे दरवाजा बंद करके अपने कमरे में चले गए। पूरी रात मेरी रोने में निकल गई।
लेकिन शायद अब उन्हें मेरी सिसकियाँ सुनाई नहीं दे रही थीं। अगली शाम उन्होंने फिर कहा कि इस पर साइन कर दो, अब कोई फायदा नहीं है। मेरा फैसला नहीं बदलने वाला है।
तलाक के बाद तुम्हें जो चाहिए, मैं दूंगा, बस तुम इस पर साइन कर दो। मेरी ज़िन्दगी में कोई और है, अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकता।
इतना काफी मुझे तोड़ने के लिए। रात भर मैंने सोचा कि साइन कर दूंगी या नहीं, कई तरह के विचार मेरे मन में चलने लगे। लेकिन मैंने सोचा कि मुझे इस रिश्ते को एक मौका और देना चाहिए।
सुबह जब उन्होंने फिर कहा कि साइन करो, तब मेरी शादी बचाने के लिए मैंने एक आखिरी कोशिश की। मैंने उनसे कहा कि मैं इस पर साइन कर दूंगी, लेकिन मेरी एक शर्त है।
उन्होंने पूछा कि क्या बताओ। मैंने कहा कि एक महीने तक आपको वही करना होगा जो आप शादी के शुरुआत में करते थे।
क्या करना होगा, उन्होंने पूछा।
मैंने कहा कि आपको सोते समय यहाँ से मुझे गोदी में उठाकर अपने बिस्तर तक ले जाकर सुलाना होगा। उन्होंने मेरी तरफ थोड़ा गुस्से से देखा और कहा कि ऐसा नहीं हो सकता।
मैंने कहा कि मैं चाहती हूँ कि आप मेरे लिए वो दिन वापस लाएं, उसके बाद तो वो कभी आएंगे नहीं। इसलिए एक महीने के लिए आप मेरी यह इच्छा पूरी कर दें।
आप नहीं मानेंगे तो भी इस पर साइन कर दूंगी। लेकिन अगर मान जाते तो साइन करते समय मेरा दुःख थोड़ा कम हो जायेगा।
वे कुछ समय चुप रहे और फिर उन्होंने मेरी बात मान ली।
रात में अब इंतजार कर रही थी। वे कमरे में सोने चले गए, लेकिन फिर उन्हें अहसास हुआ कि मैं नहीं मानने वाली तो वापस बाहर आए।
मुझे गोदी में उठाया, मेरी तरफ बिना देखें, मैंने अपने हाथ उनके गले में डाल दिए। उन्होंने अब मेरी तरफ देखा, मैंने कहा, “अरे, पकड़ूँगी नहीं तो गिर जाऊँगी।”
मेरे चेहरे पर एक मुस्कान और शर्म दोनों थी। लगा जैसे आज ही हमारी शादी हुई है और यह पहली रात है।
वे धीरे-धीरे मुझे लेकर बिस्तर तक गए।
बस फिर मैं रोज रात का इंतजार करने लगी। कब वे आएं और मुझे गोदी में उठाएं। पहले 3 से 4 दिन में ही उनके चेहरे पर थोड़ी मुस्कान आने लगी।
नजरें मिलाने से अभी भी डर रहे थे, शायद उन्हें डर था कि फिर से मेरे लिए प्यार न जाग जाए। करीब 15 दिन बाद उनका हृदय परिवर्तन होने लगा।
मुझे उनकी आँखों में प्यार दिखाई देने लगा। वे भी अब मेरी आँखों में देखने लगे। रोज रात को यही होता था। हम दोनों के बीच में जो दूरी थी, अब ख़त्म होने लगी। शायद उन्हें भी अब यह अहसास होने लगा था।
यह सब मेरी ज़िन्दगी के खूबसूरत पल थे। एक महीना पूरा होने में ही था। मुझे पता था कि ऐसा करने के बाद हमारे सारे गिले-शिकवे दूर हो जाएंगे।
और वैसा ही हुआ। कब महीना पूरा हुआ मुझे पता था, लेकिन महीना होने के बाद भी अब सिलसिला शुरू है। वे मुझसे और मैं उनसे दूर नहीं हो पाए। सोया प्यार फिर से जाग गया।
पिछली बातों पर मैंने उनसे कोई बात नहीं की, लेकिन मुझे नहीं लगता कि उनकी ज़िन्दगी में कोई और है। क्या पता उन्होंने भी यह सब मुझे सबक सिखाने के लिए किया हो।
अब मैं अपना प्यार और अपने पति को खोना नहीं चाहती।