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"परिवार के साथ बिताए समय की अहमियत: माँ की अंतिम पत्रिका की दास्तान"
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“माँ की अंतिम इच्छा: परिवार के साथ बिताए गए एक अनमोल पल की कहानी”

“परिवार से प्यार जताने का असली मतलब: एक माँ की अंतिम यादें”

“माँ के साथ बिताए एक शाम के मूल्य को समझना: परिवार की अहमियत की कहानी”

“सच्चे प्यार की पहचान: माँ के साथ बिताए आखिरी लम्हों की भावनात्मक यात्रा”

माँ की अंतिम यादें: एक दिन अचानक मेरी पत्नी मुझसे बोली, “सुनो, अगर मैं तुम्हें किसी और के साथ डिनर और फिल्म के लिए बाहर जाने को कहूं तो तुम क्या कहोगे?” मैं बोला, “मैं कहूंगा कि अब तुम मुझसे प्यार नहीं करती।” उसने कहा, “मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं, लेकिन मुझे पता है कि यह औरत भी आपसे बहुत प्यार करती है और आपके साथ कुछ समय बिताना उसके लिए सपने जैसा होगा।” वह अन्य औरत कोई और नहीं, मेरी मां थी जो मुझसे अलग रहती थी। मेरा ऑफिस मेरे घर से दूर था, इसलिए मैं अपने ऑफिस के करीब रहता था, जबकि मेरी पत्नी और बेटा वहां नहीं आना चाहते थे।

मैं अपने माता-पिता से दूर रहकर भी उनके सुख-सुविधा का पूरा इंतजाम कर चुका था, लेकिन व्यस्तता के कारण उनसे मिलने कभी-कभी ही जा पाता था। उन दिनों मेरे पिताजी अपनी बहन से मिलने गए थे। मैंने मां को फोन कर उन्हें अपने साथ रखकर खाने और एक फिल्म के लिए बाहर चलने के लिए कहा।

“तुम ठीक तो हो ना? तुम दोनों के बीच कोई परेशानी तो नहीं?” मां ने पूछा। उनके लिए मेरा इस किस्म का फोन मेरी किसी परेशानी का संकेत था। “नहीं, कोई परेशानी नहीं है। बस मैंने सोचा कि आपके साथ बाहर जाना एक सुखद एहसास होगा,” मैंने जवाब दिया और कहा, “बस हम दोनों ही चलेंगे।”

उन्होंने इस बारे में एक पल के लिए सोचा और फिर कहा, “ठीक है।” घर पहुंचा तो मैंने देखा कि वह दरवाजे पर मेरा इंतजार कर रही थीं। वह एक सुंदर पोशाक पहने हुए थीं और उनका चेहरा एक अलग सी खुशी में चमक रहा था।

कार में बैठते ही मां ने कहा, “मैंने अपने दोस्तों को बताया कि मैं अपने बेटे के साथ बाहर खाना खाने जा रही हूं। वे काफी प्रभावित थे। और तुम्हारे पिताजी को फोन करके बता दिया है। वह भी यह सुनकर बहुत खुश हुए।” मुझे थोड़ा दुख था कि पिताजी हमारे साथ नहीं थे, लेकिन मैंने वहीं बैठे-बैठे यह प्लान बना लिया कि अगली बार में मां और पिताजी दोनों के साथ समय बिताऊंगा।

हम लोग मां की पसंदीदा रेस्टोरेंट में गए। वहां मां के चेहरे पर एक उदासी भरी मुस्कान थी। “जब तुम छोटे थे, तो यह मेनू मैं तुम्हारे लिए पढ़ती थी,” उन्होंने कहा। “मां, इस समय मैं इसे आपके लिए पढ़ना चाहता हूं,” मैंने जवाब दिया। खाने के दौरान हमारी एक दूसरे के जीवन की हाल की घटनाओं पर चर्चा होने लगी। हमने आपस में इतनी ज्यादा बात की कि पिक्चर का समय कब निकल गया, हमें पता ही नहीं चला।

बाद में वापस घर लौटते समय मां ने कहा, “अगर अगली बार में बिल का पेमेंट करने दूं, तो मेरे साथ दोबारा डिनर के लिए आना चाहिए।” मैंने कहा, “मां, जब आप चाहो। और बिल पेमेंट कौन करता है, इससे क्या फर्क पड़ता है?” मां ने कहा, “फर्क पड़ता है। और अगली बार तुम पेमेंट मत करना।”

घर पहुंचा तो देखा कि तब तक पिताजी भी घर लौट आए थे। मुझे पिताजी से मिलकर बहुत अच्छा लगा। घर पहुंचने पर पत्नी ने पूछा, “कैसी रही आपकी डिनर डेट?” “बहुत बढ़िया, जैसा सोचा था, उससे कहीं ज्यादा बढ़िया,” मैंने जवाब दिया।

लेकिन इस घटना के कुछ दिन बाद मेरी मां का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। यह इतना अचानक हुआ कि मैं उनके लिए कुछ नहीं कर पाया। फिर मेरी बहुत जिद करने के बाद पिताजी हमारे साथ ही रहने लगे।

कुछ दिनों बाद पिताजी ने मुझे एक लिफाफा दिया, जिसमें रेस्टोरेंट के एडवांस पेमेंट की रसीद के साथ मां का एक खत था। जिसमें मां ने लिखा था, “मेरे बेटे, मुझे पता नहीं कि मैं तुम्हारे साथ दोबारा डिनर पर जा पाऊंगी या नहीं, इसलिए मैंने दो लोगों के खाने के अनुमानित बिल का एडवांस पेमेंट कर दिया है। अगर मैं नहीं जा पाऊं तो तुम अपनी पत्नी के साथ भोजन करने जरूर जाना। तुम नहीं जानते, उस रात तुम्हारे साथ बिताया हर पल मेरे जीवन के सबसे बेहतरीन समय में था। ईश्वर तुम्हें सदा खुश रखे। आई लव यू बेटा, तुम्हारी मां।”

उस पल मुझे अपनों को समय देने और उनके प्यार को महसूस करने का महत्व मालूम हुआ। मैं अपनी मां को तो ज्यादा समय नहीं दे पाया, लेकिन मैं अपने पिता के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने लगा। जब मैं और मेरी पत्नी रेस्टोरेंट में खाने गए, तो मेरे पिताजी भी हमारे साथ थे। मां को याद कर उनकी आंखों में आंसू आ गए। जीवन में कुछ भी आपके अपने परिवार से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है। ना व्हाट्सएप, ना मोबाइल, ना लैपटॉप, और ना ही टीवी। अपने परिजनों को उनके हिस्से का समय दीजिए क्योंकि आपका साथ ही उनके जीवन में खुशी का आधार है। इस वीडियो को उन सब व्यक्तियों के साथ जरूर शेयर कीजिए जिनके बूढ़े माता-पिता हैं, जिनके छोटे बच्चे हैं, और जिनको प्यार करने वाला उनका इंतजार कर रहा हो। क्योंकि धन तो आता-जाता है, मगर अपने गए तो लौटकर नहीं आते!

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