राहुल एक साधारण सरकारी नौकरी करता था। उसकी पत्नी, रिया, घर की संभालती थी। राहुल को लगता था कि वो घर का सारा खर्च उठाता है, और रिया बस खर्च करती है। लेकिन असलियत कुछ और ही थी।
रिया बहुत ही चालाक थी। वो घर का पूरा खर्च संभालती थी, बच्चों की पढ़ाई का ख्याल रखती थी, और साथ ही थोड़े-थोड़े पैसे बचाकर एक फिक्स्ड डिपॉजिट भी कराती थी। राहुल को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
एक दिन, राहुल को प्रमोशन मिला और उसे ट्रांसफर होकर दूसरे शहर जाना पड़ा। वो काफी खुश था। नई जगह, नई जिंदगी की शुरुआत। लेकिन उसे एक चिंता थी, घर का खर्च कैसे चलेगा?
उसने रिया से बात की, तो रिया ने हंसते हुए कहा, “तुम बस ऑफिस का काम करो, घर की चिंता मत करो। मेरे पास सब कुछ मैनेज है।”
राहुल को यकीन नहीं हुआ, लेकिन उसने रिया पर भरोसा किया। कुछ महीनों बाद, जब वो घर आया तो देखा कि घर में सब कुछ ठीक चल रहा है, बच्चों की पढ़ाई भी अच्छी चल रही है। उसे हैरानी हुई।
उसने रिया से पूछा, “तूने ये सब कैसे मैनेज किया?”
रिया ने हंसते हुए कहा, “मैंने तुम्हें कभी नहीं रोका, लेकिन मैंने अपने तरीके से भी पैसों की बचत की। वो देखो, वो मेरी फिक्स्ड डिपॉजिट की पासबुक है।”
राहुल दंग रह गया। उसे अपनी पत्नी पर गर्व हुआ। उसने रिया को गले लगा लिया। उस दिन के बाद, उनके रिश्ते में और भी गहराई आ गई। वो एक-दूसरे का सम्मान करने लगे।
रिया ने साबित कर दिया कि एक महिला सिर्फ घर की औरत नहीं होती, वो भी अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है और परिवार का सहारा बन सकती है।