डिंडोली में हुई गोलीबारी के मामले में भाजपा कार्यकर्ता उमेश तिवारी को 24 घंटे के भीतर जमानत मिल गई है। तिवारी पर शादी समारोह में पांच राउंड फायरिंग करने का आरोप है, जिससे दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हालांकि, इस मामले में हत्या के प्रयास की धारा (307) नहीं जोड़ी गई, जिससे शहर में कई सवाल उठ रहे हैं।
घटना के समय उमेश तिवारी की पिस्तौल से हुई फायरिंग के बाद एक व्यक्ति, संतोष बधेल, को गंभीर चोटें आईं। डॉक्टरों के अनुसार, संतोष का ऑपरेशन ढाई घंटे तक चला, और वह डेढ़ महीने तक बिस्तर पर रहेंगे। गोली उनकी मूत्र मार्ग में लगी थी, जिससे उन्हें काफी तकलीफ हुई।
इस बीच, पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। यह माना जा रहा है कि उमेश तिवारी के भाजपा और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से करीबी संबंधों के कारण मामले में नरमी बरती जा रही है। 2020 में तिवारी को पिस्तौल का लाइसेंस मिला था, जिसका कारण उनके जमीन कारोबार से जुड़े जोखिम बताए जा रहे हैं। खबरें हैं कि उनका पिस्तौल लाइसेंस एक भाजपा नेता के पीए की सिफारिश पर मिला था।
पुलिस ने मामले में हत्या के प्रयास की धाराएं जोड़ने के बजाय, केवल आर्म्स एक्ट और अन्य हल्की धाराओं के तहत कार्रवाई की। इस पर वकील इलियास पटेल ने कहा कि पुलिस मामले में रक्षात्मक जांच कर रही है, और यह संकेत मिलता है कि आरोपी को बचाने की कोशिश की जा रही है।
जब उमेश तिवारी को कोर्ट में पेश किया गया, तो पुलिस ने उनकी रिमांड नहीं मांगी, और अदालत ने जमानत अर्जी स्वीकार कर ली। इसके बाद पुलिस ने आर्म्स एक्ट के अलावा धारा 135 भी जोड़ दी, लेकिन हत्या के प्रयास की धारा नहीं लगाई।
इस पूरे मामले को लेकर शहर में चर्चा है कि पुलिस की लापरवाही और भाजपा कार्यकर्ता के प्रभाव के कारण आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हो पाई।